जिले में हेल्पलेस साबित हो रही है सीएम हेल्पलाइन
राजस्व विभाग की शिकायत को बंद करने के लिए अलग अलग तर्क देकर मामलों में मनमाने खात्मे लगाए जा रहे है
अनूपपुर :- घर बैठे शिकायत निवारण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रारंभ की गई सीएम हेल्पलाइन (181) सेवा जिले में हेल्पलेस साबित हो रही है। अधिकारियों की अनदेखी के चलते लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि आवेदक एक ही समस्या लेकर बार-बार 181 डायल कर रहे हैं, जबकि उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। कई आवेदकों को तो शिकायत किए हुए कई माह गुजर गए हैं। बावजूद उनका समाधान नहीं हुआ है, जबकि सात दिन में इन शिकायतों का निराकरण हो जाना चाहिए। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आवेदकों की समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों की अनदेखी की वजह से लोगों का इस योजना से भरोसा उठने लगा है
सात माह में भी नहीं हटा सरकारी भूमि का अतिक्रमण
दरअसल मामला अनूपपुर जिले के नवगठित बरगवां अमलाई नगर परिषद् के मेला मैदान का है जहां कुछ वर्ष पूर्व चेतराम चौरसिया द्वारा मेला मैदान के खसरा क्रमांक 144 /1 में पहले अस्थाई बागड़ बनाकर धीरे धीरे अतिक्रमण कर पक्की दीवार एवं कमरे का निर्माण कर लिया गया है,मामला समाचारपत्रों में आने के बाद ग्रामीणों ने सम्बंधित अधिकारियों को अतिक्रमण हटाए जाने संबधी शिकायत भी की जिसकी सुनवाई न होने पर शिकायत सी एम हेल्पलाइन में की गई लेकिन अधिकारी शिकायतों-समस्याओं का निबटारा कराने के बजाय वे ऐन प्रकारेण मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों को बंद कराकर अपने नंबर बढ़ाने में लगे हुए हैं। मजे की बात तो यह है की अधिकारी द्वारा एक ही शिकायत को बंद करने के लिए अलग अलग तर्क देकर मामलों में मनमाने खात्मे लगाए जा रहे है। एक ही प्रकरण में एक तर्क यह दिया जा रहा है की शिकायतकर्ता को अपने भूमि की सीमा का ज्ञान नही है और न ही नक्शा तरमीम करवाया है ऐसी स्थित में अतिक्रमण के विरुद्ध कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है । वहीं दूसरी तरफ इसी प्रकरण के दूसरी शिकायत में प्रकरण को न्यायालीन प्रक्रित का होने से विलोपित योग्य बताया गया है।
सीएम हेल्प लाइन में सात दिन में होना चाहिए समस्या का निवारण
181 यानि सीएम हेल्पलाइन पर कोई शिकायत दर्ज कराने के बाद वह एल-वन लेवल पर पहुंचती है। इस लेबल पर सात दिन में शिकायत का निराकरण होना चाहिए। यहां शिकायत का निराकरण न हाेने पर वह स्वत: ही एल-टू लेवल पर पहुंच जाती है। यहां कलेक्टर को सुनवाई करना होती है। यहां भी शिकायत निवारण के लिए सात दिन का समय रहता है। इसके बाद शिकायत अपने अाप एल-थ्री लेवल पर पहुंच जाती है। यहां शिकायत संबंधित विभाग के प्रमुख द्वारा सुनी जाती है। यहां अधिकारी को विशेषाधिकार भी होता है वह चाहे तो स्वत: शिकायत को समाप्त भी कर सकता है। इसके उपरांत शिकायत एल-फोर लेवल पर पहुंच जाती है। यहां शिकायत को प्रदेश स्तर के अधिकारी यानि संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव सुनते हैं। यहां भी अधिकारी को शिकायत निरस्त करने के लिए विशेषाधिकार दिए गए हैं
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