ज्योतिषचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने दी नवरात्रि की सम्पूर्ण जानकारी
अनूपपुर :- ज्योतिषचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी के अनुसार शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। हाथी पर मां दुर्गा का आगमन सुख, समृद्धि, और अच्छी वर्षा का सूचक माना जाता है, जो भक्तों के लिए एक शुभ और सकारात्मक संकेत है।
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त उनके 9 स्वरूपों की पूजा 9 दिनों तक पूरे विधि-विधान करते हैं. शक्ति की साधना का यह पर्व इस साल 22 सितंबर 2025 से प्रारंभ हो रहा है. नवरात्रि के पहले दिन जिस कलश स्थापना के साथ मां भगवती की साधना शुरू होती है, उसकी विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
हर साल आने वाला शारदीय नवरात्रि का पर्व, मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति का प्रतीक होता है. शक्ति की साधना के इस पावन पर्व में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है और घर-घर में मां भगवती के स्वागत की तैयारी होती है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ इस महापर्व की शुरूआत होती है. साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025, सोमवार से हो रही है. आइए जानते हैं कि नवरात्रि के 9 दिनों की देवी साधना शुरू करने के लिए कब और कैसे घटस्थापना करें, ताकि पूरे साल देवी दुर्गा की हम पर कृपा बनी रहे.
*शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।*
*गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥*
*गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।*
*नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्*
त्रिपाठी जी बताते है की देवीपुराण में निहित श्लोक के अनुसार, रविवार और सोमवार के दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। इस साल जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा शारदीय नवरात्र में गज यानी हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिषियों की मानें तो मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना सुखप्रद रहने वाला है। इससे मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है।
घटस्थापना की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर की रात 01:23 बजे शुरू होगी और 23 सितंबर की रात 02:55 बजे तक रहेगी. सनातन मान्यताओं के अनुसार, उदय काल में शुरू होने वाली तिथि ही मान्य होती है. इस तरह 22 सितंबर को ही घटस्थापना और मां दुर्गा की पूजा का दिन रहेगा.
पहले दिन बन रहे शुभ संयोग
नवरात्रि की शुरुआत इस बार बेहद शुभ मानी जा रही है क्योंकि इस दिन शुक्ल और ब्रह्म योग जैसे सकारात्मक संयोग बन रहे हैं. इन योगों में पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
*घटस्थापना की संपूर्ण विधि*
अखिलेश त्रिपाठी बताते है की से पहले घर और पूजा स्थल की सफाई करें. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें, अगर संभव हो तो बिना सिलाई वाले वस्त्र पहनें. अब पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें.
देवी के आगमन की शुरुआत
कलश स्थापना के बाद से ही मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का क्रम शुरू होता है. हर दिन अलग-अलग रूपों का पूजन किया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है. नवरात्रि के न सिर्फ पहले दिन बल्कि पूरे 9 दिनों में मां भगवती के सामने दीपक जलाकर, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें. रोज सुबह और शाम मां की आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
*21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण का महत्म*
श्री त्रिपाठी जी कहते है की इस साल वर्ष 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्यग्रहण 21 सितंबर, रविवार को लग रहा है। सूर्यग्रहण 2025 के बाद 22 सितंबर, सोमवार की सुबह सूर्योदय ग्रहण के साथ ही होगा। ऐसे में आखिरी सूर्य ग्रहण 2025 पर गांव से लेकर शहर तक हर जगह लोगों में खासी उत्सुकता बनी हुई है। यह सूर्य ग्रहण भारत में सीधे नहीं देखा जा सकेगा। हमारे देश में ग्रहण का सूतक काल भी प्रभावी नहीं रहेगा। हालांकि, 21 सितंबर को लग रहे साल के दूसरे सूर्य ग्रहण 2025 को लेकर ज्योतिषविदों ने कई आशंकाएं जाहिर की हैं। यह कुछ राशियों के लिए शुभ तो कुछ के लिए अशुभ साबित हो सकता है। साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर, रविवार को रात 10 बजकर 39 मिनट पर लगेगा।

