नर्मदा मंदिर प्रांगण में भंडारे के आयोजन बाद गंदगी का आलम देख लोगो ने उठाई आपत्ति publicpravakta.com


नर्मदा मंदिर प्रांगण में भंडारे के आयोजन बाद गंदगी का आलम देख लोगो ने उठाई आपत्ति


नर्मदा कुंड आस्था का केंद्र बिंदु है - आचार्य रामकृष्णानंद जी 


 श्रवण उपाध्याय 


अमरकंटक : - मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली /पवित्र नगरी अमरकंटक जो मध्य प्रदेश का प्रमुख तीर्थ स्थल और प्राकृतिक धरोहर है । यह विंध्य और सतपुड़ा पर्वत मालाओं के मिलन स्थल पर स्थित है जहां से नर्मदा , सोनभद्र और जोहिला नदी का उद्गम क्षेत्र है । अमरकंटक मुख्य रूप से धार्मिक नगरी के साथ ही पर्यटक क्षेत्र भी है । वर्ष में औसतन कई लाख श्रद्धालु , तीर्थयात्री , नर्मदा परिक्रमा वासी  साथ ही विदेशी पर्यटक आते जाते रहते है । 


अमरकंटक नर्मदा नदी का प्रमुख उद्गम स्थली है । हजारों की संख्या में श्रद्धालु , भक्तजन रोजाना अमरकंटक आते है । त्योहारों और पावन दिवसो पर मंदिर प्रांगण के अंदर छोटे बड़े भंडारे का आयोजन भी होते रहते है , यह बड़ी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है । लेकिन मंदिर प्रांगण में भंडारे के प्रसाद वितरण कर फैलती गंदगी पर ध्यान न देना श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँचाने और पवित्र वातावरण को दूषित करने जैसा माहौल बना देना उचित नहीं है । भंडारे के बाद सोमवार शाम से मंडलवार सुबह तक इस स्थल को जिसने भी देखा वह गंदगी देख दंग रह गया । जुठे दोना कचड़ा नर्मदा उद्गम कुंड में उड़ कर जल में समा रहे थे जिससे जल भी दूषित हो रहा था । स्थानीय साधु-संतों और नगरवासियों का कहना है कि भंडारे के दौरान दोना , पत्तल , प्लास्टिक ग्लास आदि के कचडे को मंदिर प्रांगण में फैलने से पूर्व बाहर निकाल देना चाहिए ताकि नर्मदा उद्गम कुंड और प्रांगण पवित्र  बना रहे । 


आचार्य स्वामी रामकृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि नर्मदा जी का उद्गम स्थल आस्था का केंद्र बिंदु है । धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से यह स्थल पवित्र है । शासन प्रशासन को सजग रह कर  मंदिर में गंदगी न फैले , ध्यान देना चाहिए । 

स्वामी लवलीन महाराज का कहना है कि भंडारे के साथ स्वच्छता भी साथ बनी रहे , तभी पवित्रता भी रहेगी ।


श्रद्धालुओं का कहना है कि जूंठा प्रसाद का बिखराव खाने वाले दोना पत्तलों से होता है जिसे बंदरों और हवा के कारण ज्यादा होता है । भंडारे के बाद फैलने वाला कचरा  मंदिर परिसर को गंदगी से भर देता है । इससे अचानक आने जाने वाले तीर्थयात्रियों , पर्यटकों के मन में नकारात्मक भाव पैदा हो जाता होगा या यह गंदगी देख मन की धारणा जो बनती होगी वह उद्गम स्थल के लिए ठीक नहीं ।  पवित्र स्थल पर स्वच्छता का अभाव नहीं होना चाहिए ।


अमरकंटक के प्रतिष्ठित व्यवसाई ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि मंदिर सार्वजनिक स्थल है सैकड़ों , हजारों की संख्या में लोगों का आना जाना होता है , गंदगी देख मन खिन्न होता है । भंडारा का आयोजन मंदिर प्रांगण बाहर व्यवस्था की जानी चाहिए ।


नर्मदा मंदिर के पुजारी पंडित जुगल किशोर द्विवेदी ने कहा कि मंदिर प्रांगण में भंडारे के बाद जो गंदगी की स्थिति नजर आती है , वह देखने योग्य नहीं बनती । बड़े भंडारे या छोटे प्रसाद वितरण कार्यक्रम अब अन्यत्र स्थल पर करना ज्यादा अधिक उचित होगा ।

स्थानीय लोगों का मत है कि क्षेत्र में जितनी अधिक स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखी जाएगी , उतना ही अधिक श्रद्धालुओं का भाव , लगन , उत्साह धार्मिक अनुष्ठान पूजा अर्चन आदि में उमंग बढ़ेगा । 


पुष्पराजगढ़ एसडीएम सुधाकर सिंह बघेल का कथन है कि मंदिर प्रांगण में गंदगी बिल्कुल ठीक नहीं । भंडारा वगैरह बाहर होने चाहिए इसके लिए बैठक कर निर्णय लिया जाएगा । 


नगर पालिका के सीएमओ चैन सिंह परस्ते ने बताया कि इस विषय पर चर्चा कर आगे आवश्यक व्यवस्था या निर्णय लिया जाएगा ।

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