उच्च न्यायालय जबलपुर ने उपनिरीक्षक सतीश द्विवेदी को साठ दिवस के अंदर उनके सेवा बहाली के आवेदन पर कार्यवाही करने पुलिस महानिरीक्षक को दिए निर्देश
अधिवक्ता दीपक कुमार पांडे ने रखा आवेदक का पक्ष
अनुपपुर :- रामनगर थाने में पदस्थ पुलिस उपनिरीक्षक सतीश द्विवेदी को दुर्भावना वश झूठे प्रकरण में लोकायुक्त द्वारा ट्रैप करवाकर आरोपी बना दिया गया था, वर्ष 2013 के बाद ट्रायल कोर्ट ने महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजर अंदाज करते हुए श्री द्विवेदी को दोषी माना था, इसके बाद पुलिस विभाग ने सतीश द्विवेदी को बर्खास्त कर दिया था, ट्रायल कोर्ट के आदेश और विभाग के आदेश की अपील श्री द्विवेदी ने उच्च न्यायालय जबलपुर में की थी और ग्यारह वर्ष पश्चात उन्हें झूठे प्रकरण से निर्दोष बताते हुए बरी कर दिया अप्रैल 2025 में उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में सभी गवाहों और दर्ज प्रकरण की सूक्ष्मता से सुनवाई की और पाया कि जिस प्रकरण में पैसा लेने का आरोप श्री द्विवेदी पर लगाया गया है वह प्रकरण उनके थाने क्षेत्र का था ही नहीं और उनके समक्ष जांच में भी नहीं था, उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद सभी संबंधित शाखा में पुनः सेवा में बहाल किए जाने हेतु दिए गए आवेदन पर चार माह बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने पर एक बार फिर श्री द्विवेदी को उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करनी पड़ी,14/08/2025 को उच्च न्यायालय जबलपुर ने पुलिस महानिरीक्षक शहडोल को निर्देश दिए हैं कि साठ दिवस के अंदर उनके सेवा बहाली के आवेदन पर कार्यवाही करें, याचिकाकरता के अधिवक्ता दीपक कुमार पांडे ने बताया कि प्रत्येक शासकीय कर्मचारी का अधिकार है वह दोषमुक्त होने पर पुनः समस्त लाभों को प्राप्त करेगा, स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए विभाग के कर्मचारी का संघर्ष विभाग को समझना चाहिए और उसे त्वरित बहाली का आदेश दिया जाना चाहिए,