अमरकंटक में हरियाली अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किए नर्मदा स्नान और पूजन अर्चन publicpravakta.com


अमरकंटक में हरियाली अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किए नर्मदा स्नान और पूजन अर्चन


ग्रामीण क्षेत्रों से आकर घर घर द्वार पर लगाए हरियाली "तोरण


 श्रवण उपाध्याय 


अमरकंटक : - मां नर्मदा की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हर वर्ष हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है जो श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है । इस पावन दिवस पर श्रद्धालु , तीर्थयात्री , पर्यटक आज हरियाली अमावस्या के शुभ दिवस पर अमरकंटक पहुंच श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद पूजन अर्चन कर मंदिर दर्शन किए । कांवड़ियों के टीमों द्वारा मंदिर प्रांगण में बोलबम के नारे भी खूब लगा रहे थे । भक्त भी खूब यहां पहुंच रहे । अनेक श्रद्धालु भोलेबाबा के मंदिर पहुंच जलाभिषेक किए । श्रद्धालु , तीर्थयात्री पूजा आराधना कर प्रभु भोलेनाथ से खूब आशीर्वाद मांगे । आज विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजन का बड़ा महात्म है ।  


श्रावण मास की अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों के लिए समर्पित रहती है । नर्मदा मंदिर पुजारी पंडित जुगुल द्विवेदी कहते है कि प्रातः स्नान बाद पूजन , दान और पुण्य कर्मों से पितृ आत्माओं को शांति मिलती है । दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें । पीपल और तुलसी के पौधे का पूजन करे । पीपल की परिक्रमा करें । आज अमावस्या का खूब महत्व बताया गया है । 


घर घर जाकर लगा रहे "तोरण"


हरियाली अमावस्या के पावन दिवस पर ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचे  लोग घर-घर जाकर तोरण द्वार लगा रहे । इस त्योहार को शुभ मानते हुए वे घर घर जाकर 'तोड़न' हर घर के द्वार पर लगाते और प्रसन्नता वस आप जो उपहार दे दे वह ग्रहण कर अगले घरों की ओर बढ़ जाते । अमरकंटक से दूर अमानाला ग्रामीण क्षेत्र से आए मनीष बैगा और सुनील वैगा ने बताया कि आज हरियाली अमावस्या का त्यौहार है,इस दिन यह बांस के पत्ते को द्वार द्वार पर लगाने से अच्छा (शुभ) होता है इसे तोरण भी कहते है । 

यह परंपरा आपसी सौहार्द, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है ।

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