ज्योतिसाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने दी महाशिवरात्रि की सम्पूर्ण जानकारी कैसे करें पूजा विधि
अनूपपुर :- हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बहुत ही श्रद्धा भाव से लोग मनाते हैं. इस दिन शंकर भगवान और मां पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है. महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस महा पर्व का हर शिवभक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा-आराधना, मंत्रोचार और अनुष्ठान आदि किया जाता है. ऐसे कहा जाता है कि जो भी शिव भक्त सच्ची श्रद्धा से पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं भोले भंडारी पूरी करते हैं. चलिए जानते हैं महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.
जाती है महाशिवरात्रि?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. एक दूसरी धार्मिक मान्यता के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान शिव, करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक और मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं.
ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी का कहना है कि कुवारी कन्याएं चाहती हैं कि उन्हें अच्छा वर मिले तो महाशिवरात्रि पर उन्हें मां पार्वती और शिव दोनों की पूजा करनी होगी. मां पार्वती को सिंदूर लगाना होगा. वहीं, विद्यार्थियों को भगवान शिव के साथ श्री गणेश की भी पूजा करनी चाहिए. व्यापारी वर्ग पूरी पंचायत की पूजा करें. पंचामृत से अभिषेक करें. ऐसा करने से भगवान शिव सबकी मनोकामना पूर्ण करेंगे.
*महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है*
इसको लेकर अलग-अलग मान्यताएं और कथाएं मिलती हैं. महाशिवरात्रि का अर्थ है ‘शिव की रात’. महाशिवरात्रि भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का एक विशेष अवसर माना जाता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पहली बार भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग में प्रकट हुए थे और इसे महाशिवरात्रि के रूप में मनाया गया. आसान शब्दों में कहें तो भगवान शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि है.
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि का महत्व
हालांकि महाशिवरात्रि की असली कहानी क्या है, इसका शिव महापुराण में विस्तार से उल्लेख मिलता है. शिव महापुराण के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था.
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव वैराग्य का त्याग कर देवी पार्वती संग विवाह के बंधन में बंधे थे और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. ऐसे में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है