मनोकामनाएं पूर्ण करने श्रद्धालु और ग्रामीण चढ़ाते है श्रीरामशिला में पत्थर एवं लकड़ी publicpravakta.com

 


मनोकामनाएं पूर्ण करने श्रद्धालु और ग्रामीण चढ़ाते है श्रीरामशिला में पत्थर एवं लकड़ी


जंगल में स्थित श्रीचरण तीर्थ पावन धाम रेउसा में बह रही भक्ति की बहार


अनूपपुर :-  कोतमा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत निगवानी के ग्राम रेउसा के जंगल में स्थित श्री चरण तीर्थ पावन धाम एवं लोगो के आस्था का प्रतीक पवित्र स्थल श्री राम शिला में खजुरीताल मैहर से पधारे श्री रामललाचार्य जी महराज द्वारा श्री राम कथा, श्री राम महायज्ञ एवं श्री रामलीला कार्यक्रम का आयोजन 20 फरवरी से किया जा रहा है। जहां आयोजन के पांचवे दिन एकादशी पर जगतगुरू सहित श्रद्धालुओं एवं ग्रामीणों ने 3 से 4 किलोमीटर की परिक्रमा कर अनुष्ठान किया गया। 

श्री मानस पीठाधीश्वर जगद्गगुरू श्री रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामललाचार्य जी महराज ने बताया कि 29 जून 2024 को छत्तीसगढ़ में रामकथा कार्यक्रम के दौरान उनके एक शिष्य मैथली शरण जायसवाल ने पवित्र तीर्थ स्थल श्री रामशिला की जानकारी देते हुए बताया कि जंगल में एक एैसा पवित्र स्थान है, जहां ग्रामीण अपनी हर समस्या के निदान एवं अपनी मनोकमनाएं पूरी करने के लिए अस्था के प्रतीक शीला में पत्थर, लकड़ी चढ़ा कर अपनी मनोकामनाएं मांगते है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जिसके बाद जगतगुरू ने आमंत्रण स्वीकार करते हुए रेउसा के जंगल में स्थित उक्त पवित्र स्थल पहुंचे और उक्त पवित्र स्थान पहुंचने पर उन्होने रात्रि वहीं विश्राम करने का मन बनाया। 

जगद्गगुरू रामललाचार्य ने बताया कि पवित्र स्थल की परिक्रमा करने एवं लोगो की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले पत्थर श्री राम शिला है, इतना ही नही उक्त स्थान में त्रेता युग में पड़े प्रभु श्रीराम, लक्षमण एवं माता सीता के चरण है। इतना ही नही भगवान हनुमान एवं गुरूण का स्थान भी यहां है। उक्त स्थान पर पंडवों की शिला है। जहां पंडाव ताल के साथ भीम, युष्ठिर, द्रोपदी, नकुल, सहदेव के चरणों के निशान मिले है। जिसके बाद जगद्गुरू ने उक्त स्थान पर पवित्र नदियों गंगा, नर्मदा, सरयु, यमुना नदी के कुंड भी है तथा भगवान श्री राम द्वारा रखे गये धनुष एवं 7 बाणों के चिन्ह भी मिले है। जिस पर उन्होने उक्त पवित्र स्थल को चरण तीर्थ का नाम दिया गया। 

जगद्गुरू ने बताया कि ऐसी पवित्र भूमि जो श्री चरण तीथ पावन धाम में श्रीराम शिला की परिक्रमा रविवार और पूर्णिमा के दिन करने से लोगो की हर मनोकमनाएं पूर्ण होती है। उन्होने बताया कि उक्त स्थल का प्राचीन नाम दानगिरी था। श्रीराम शिला का ठंडा होना तथा अन्य पत्थरों का गर्म होना ही श्रीराम शिला की पहचान है। जिसके कारण उन्होने उक्त श्री चरण तीथ स्थल पर श्रीराम कथा, श्रीराम महायज्ञ एवं श्री रामलीला कार्यक्रम का आयोजन करते हुए लोगो एवं गांव के लोगो को उक्त धार्मिक स्थल के महत्व को समझाया गया है। 

जंगल में स्थित पवित्र चरण तीर्थ धाम में पांचवे दिन जगद्गुरू स्वामी श्री रामललाचार्य जी महराज के मुखर बिन्दु से श्री राम कथा सुनने जिले भर से लोग पहुंच रहे है। जहां पूरा स्थल राममय हो चला है।

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