न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण- प्रदेश के मजदूरों के साथ धोखाधड़ी publicpavakta.com


न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण- प्रदेश के मजदूरों के साथ धोखाधड़ी


अनूपपुर :- सीटू ने लगाया प्रदेश सरकार पर मजदूरों के साथ धोखा धड़ी करने का आरोप मध्य प्रदेश न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 3 के अनुसार प्रत्येक पांच वर्ष के बाद न्यूनतम वेतन की दरें पुनरीक्षित की जानी चाहिये । प्रदेश में अनुसूचित नियोजनों हेतु पिछला न्यूनतम वेतन निर्धारण 10.10.2014 जारी हुआ था ।  स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत वर्ष 2019 में यह पुनरीक्षण हो जाना चाहिए था । लेकिन प्रदेश सरकार ने पूँजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इसे लगभग 4 ½ साल लंबित रखा और लाखों मजदूरों और उनके परिजनों को तबाह कर दिया। 

सीटू ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर उपरोक्त आरोप लगाते हुए कहा कि न्यूनतम वेतन सलाहकार मण्डल ने तो नियमानुसार 5 वर्ष की अवधि उपरांत न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण का प्रस्ताव 15.11.2019 को मध्य प्रदेश शासन को भेज दिया गया, लेकिन मध्य प्रदेश शासन ने 4 वर्ष तक इसे लंबित किये रखा और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की । ज्ञातव्य हो कि इन्हीं चार वर्षो के दौरान मेहनतकश अवाम ने न सिर्फ कोरोना महामारी का भीषण दौर झेला अपितु डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस सहित आम उपभोक्ता वस्तुओं की आसमान छूती महंगाई के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के भारी खर्चों की मार भी झेली । इस अवधि में न्यूनतम वेतन पुनरीक्षित न कर मध्य प्रदेश शासन ने प्रदेश के मजदूरों को नियमानुसार मिलने वाली बढ़ी हुई मजदूरी से वंचित कर उन्हें तबाह किया और प्रदेश के खरबपति नियोजकों को लाभ पहुंचाया । नेताओं ने कहा कि 15.11.2019 को न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड की अनुशंसा थी कि 01.10.2019 को प्रभावशील महंगाई भत्ते व मूल वेतन को जोड़कर उसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि कर नया मूल वेतन निर्धारित हो । लेकिन सरकार ने कानूनी प्रावधानों को धता-बताते हुए 5 वर्ष के बजाय 9 वर्ष 6 माहका समय लिया और उसमें भी हेराफेरी करते हुए केवल 01.10.2019 के मूल वेतन में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर सभी श्रेणी के श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात कर नियोजकों का हित लाभ किया । इस चालाकी के कारण 01 अप्रैल 2024 से लागू किए जाने वाले पुनरीक्षित वेतन में प्रत्येक श्रमिक कोऔसत 437 रुपए मासिक का नुकसान हुआ। सीटू नेताओं ने कहा कि जितने भी वेतन समझौते या वैधानिक मापदंडों से होने वाले पुनरीक्षण होते हैं उनका भुगतान उस दिनांक से होता है जिस दिनांक से वह देय हो जाते हैं । ऐसी स्थिति में  देय दिनांक से भुगतान दिनांक तक के एरियर्स का भी भुगतान होता है । लेकिन मध्य प्रदेश में हुए वर्तमान न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण में इस विधिसम्मत व मान्य परम्परा का खुला उल्लंघन कर इसे लगभग 4 वर्ष 6 माह की अवधि के बाद (देय दिनांक अक्टूबर 2019 तथा प्रस्तावित भुगतान दिनांक 01अप्रैल 2024) लागू करना स्पष्टत: मजदूर विरोधी व नियोजक समर्थक अवैध कार्रवाई है ।

सीटू नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने लाखों मजदूरों को लाखों करोड़ रुपये का चूना लगाते हुए उसे उद्योगपतियों की तिजोरी में डालने के लिए यह घोटाला किया है । आंकड़ों के साथ अपनी बात स्पष्ट करते हुए सीटू नेताओं ने कहा कि इस कदम से बीते 4 वर्ष 6 माह में मूल वेतन में की गई हेराफेरी के औसत 437 रुपये तथा 01.10.2019 से तब के मूलवेतन में की गयी 25 प्रतिशत वृद्धि को जोड़कर 31.03.2024 तक अकुशल श्रमिक को 1988 रुपये, अर्धकुशल श्रमिक को 2202 रुपये, कुशल श्रमिक को 2546 रुपये तथा अति कुशल श्रेणी के श्रमिक को 2871 रुपये का प्रति माह वेतन का आर्थिक नुकसान तथा इससे जुड़े अन्य हित लाभ प्रभावित हुये हैं ।

इसकी यदि 4 वर्ष 6 माह की गणना करें तो अकुशल श्रमिक से 1,07,352 रुपये, अर्धकुशल श्रमिक से 1,18,908 रुपये, कुशल श्रमिक से 1,37,484 रुपये व अति कुशल श्रमिक से 1,55,034 रुपये की राशि हड़पी जा रही है । इस भीषण घोटाले के खिलाफ आज 28 मार्च 2024 को सीटू ने प्रदेशभर के श्रम कार्यालयों पर प्रदर्शन कर श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंप मांग की है कि वर्तमान वेतन पुनरीक्षण में मूल वेतन निर्धारण में जो गड़बड़ी की गई है उसे सभी संगठनों की राय से विधि सम्मत तरीके से तुरंत दुरुस्त किया जावे ।

हमारी स्पष्ट राय है कि 01 अक्टूबर 2019 के मूल वेतन तथा उस समय देय महंगाई भत्ते को जोड़कर उस पर 25 प्रतिशत की वृद्धि कर मूल वेतन का निर्धारण किया जावे । विधिसम्मत रूप से 01 अक्टूबर 2019 से लेकर वेतन दरों के लागू होने के दिनांक तक के एरियर का भुगतान कराया जावे । चूंकि 01 अक्टूबर 2019 के बाद अब तक लगभग 4 वर्ष 6 माह की अवधि गुजर गई है । इसलिए वैधानिक रूप से 5 वर्ष में न्यूनतम वेतन दरों का पुनरीक्षण कर लागू करने के लिए मान्य परम्पराओं व आईएलओ के निर्दिष्ट सिद्धांतों के आधार पर तत्काल न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन कर समयबद्ध तरीके से न्यूनतम वेतन की प्रक्रिया प्रारंभ की जावे । भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा न्यूनतम वेतन निर्धारण हेतु तय मापदंडों के लिहाज से वर्तमान में सभी केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांग 26000 रुपए न्यूनतम वेतन की है । इसलिए प्रदेश के मजदूरों के लिए भी यह वेतन तय किया जाए ।

इस अवसर पर श्रम पदाधिकारी कार्यालय अनूपपुर मे सीटू  जिला समिति अनूपपुर का प्रतिनिधि मंडल कामरेड रामू यादव अध्यक्ष एवं कामरेड इंद्रपती सिंह महासचिव के नेतृत्व में कामरेड अफसाना बेगम कामरेड आशा राठौर कामरेड रोशनी सिंह कामरेड सुकीरतनी मिश्रा कामरेड शांता सिंह  कामरेड राजेंद्र विश्वकर्मा कामरेड सहसराम ने ज्ञापन सौंपा । प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार इस अन्यायपूर्ण कार्यवाही का समाधान नहीं किया तो सीटू पूरे प्रदेश में आंदोलन तेज करेगी।

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