बिजुरी के नगरीय निकाय चुनाव पर निष्पक्ष एवं स्वच्छ चुनाव पर खड़ा हुआ सवाल....? Publicpravakta.com


बिजुरी के नगरीय निकाय चुनाव पर निष्पक्ष एवं स्वच्छ चुनाव पर
खड़ा हुआ सवाल....?


 सरकारी शोध्य के कालम में भी प्रत्याशी दिखाये निरंक.. जबकि केन्द्र सरकार अधिनस्थ SECL के क्वार्टर में किये बैठे है अवैध कब्जा..


अनूपपुर :- विक्रमा सिह प्रदेश संगठन मंत्री मध्यप्रदेश इंटक ने कलेक्टर  एवं जिला निर्वाचन अधिकारी महोदय अनूपपुर जिला-अनूपपुर (म.प्र.) को पत्र लिखकर मांग की है और इस शिकायत की प्रतिलिपि सचिव महोदय, मप्र राज्य आयोग भोपाल को भेजी है। मध्यप्रदेश नगर पालिका निर्वाचन नियम 1994 के आम निर्वाचन वर्ष 2022 हेतु   ंअभ्यर्थी द्धारा नामांकन दाखिल नगर पालिका निर्वाचन नियम 1994 के तहत प्रारूप -3 { नियम 24 (2)} नाम निर्देशन पत्र में कूटरचित अनापति (अदेय ) प्रमाण पत्र एवं कूटरचित दस्तावेज समायोजित कर अभ्यर्थियों के विरूद्ध कार्यवाही करने का लेख किया है।

उन्होंने शिकायत में लेख किया है कि मध्यप्रदेश नगर पालिका निर्वाचन नियम 1994 के आम निर्वाचन वर्ष 2022 हेतु अभ्यर्थी द्धारा नामांकन दाखिल नगर पालिका निर्वाचन नियम 1994 के तहत प्रारूप -3 { नियम 24 (2)} नाम निर्देशन पत्र  में ही अभ्यर्थी अपने नामांकन पत्र में अपना पता भारत सरकार के अधीनस्थ कम्पनी कोल इंडिया के अंर्तगत एस.ई.सी.एल. कम्पनी के आवासीय परिसर के आवास या भुमि पर बने मकान का पता प्ररूप -4 (नियम 27 देखिए)) स्पष्ट उलेखित करता है ।  ऐसी परिस्थिति में   मुख्य नगर पालिका अधिकारी बिजुरी का दायित्व बनाता है कि सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जा धारियों की बेदखली ) अधिनियम 1971 की धारा 5 की उप घारा (1) की संवीक्षा जॉंच कर ले कि वह उल्लंघन या अनदेखी हो रही है । लेकिन 05 सिंतम्बर 2022 को उपस्थिति होकर लिखित रूप  से उन्हें अवगत कराते हुयें । यह ध्यानार्थ भी किया कि सरकारी शोध्य को अभ्यर्थी छुपाने न पायें । फिर भी मुख्य नगर पालिका अधिकारी बिजुरी एवं श्रीमान कनिष्ठ अभियंता बिजुरी (मप्र पुर्वक्षेत्र बि़द्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड-अनुपपूर ) एस.ई.सी.एल. कम्पनी के आवासीय परिसर के आवास या भुमि पर बने मकान जो सार्वजनिक परिसर क्षेेत्र में आते है उन्हें भी अदेय प्रमाण पत्र जारी कर दिये । 

यह कि  एस.ई.सी.एल. कम्पनी अपने कर्मचारी से भी बि़द्युत बिल के तहत  उसके बेसिक का एक प्रतिशत प्रतिमाह वेतन से काटती है । और उसके आवसीय सुविधा के तहत सालाना आय पर एक निर्घारित अपकीच एलाउन्स का लेखा जोखा करती है । लेकिन अवैध तरीके से काबिज लोग न तो नगर पालिका को एक रूपये भुगतान करते है । और न ही एस.ई.सी.एल.कम्पनी को करते है । 

ऐसे में सरकार के लोकधन का क्षति होता है । मुख्य नगर पालिका अधिकारी का यह अहम दायित्व बनता है कि शासन को जिन जिन स्रोत्रों से लोकधन अर्जित होता हो उनपर ध्यान देकर उसकी दिशा में उपाय किये जाना चाहिये । यह देख कर यह प्रति होता है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी महोदय मप्र नगर पालिका (भवनों/भूमियों के वार्षिक भाडा मूल्यों का अवधारण) नियम 1997 के तहत भी गम्भीर नही होगें क्योकि ऐसे सार्वजनिक परिसर  क्षेत्र में अवसर आने पर कार्यवाही से लोग नगर में वैध तरीके से रहने लगते है तो लोकधन का आय भी होता है । लेकिन अभ्यर्थी द्धारा कुटरचित दास्तावेज में अधिकारी भी शामिल होगें तो चुनाव निष्पक्ष और स्वच्छ कैसे सम्भव है ? 

यह कि मध्यप्रदेश राज्यपत्र असाधारण क्रमांक 217 ,दिनॉंक 28 मई 2014 में प्रकाशित आदेश के तहत निर्वाचन में नाम निर्देशन के साथ अभ्यर्थी द्धारा प्रस्तुत किये जाने वाले शपथ पत्र के संबंघ में निम्न निर्देश बताये गये है । जिसमें भी अभ्यर्थी अपने निर्वाचन शपथ पत्र में यह नही बताते कि  वह सार्वजनिक परिसर  क्षेत्र में कैसे रहते है । और कुटरचित सरकारी शोध्य कालम में निरंक शब्द अंंिकंत कर देते है 

अतः श्रीमान से विनम्र आग्रह है कि ऐसी परिस्थ्तिि में अभ्यर्थीयों द्धारा  दिये हुये पता यदि सार्वजनिक परिसर  क्षेत्र में आता है तो रिटर्निग आफिसर महोदय को अभ्यर्थी के वोटर आई डी, राशन कार्ड, ,आधार कार्ड के आधार पर यह संवीक्षा करना चाहिये कि अभ्यर्थी सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जा धारियों की बेदखली ) अधिनियम 1971 की धारा 5 की उप घारा (1) परिधी में तो नही आता । यदि आता है तो अभ्यार्थी के आवेदन निरस्त कर देना चाहियें। आपत्ति करने पर भी अदेय प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी पर आवश्यक वैधानिक कार्यवही की जानी चाहिए।

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