चंदास नदी की यात्रा संपन्न , स्थानीय निवासियों ने जाना चंदास नदी का हाल publicpravakta.com


 चंदास नदी की यात्रा संपन्न , स्थानीय निवासियों ने जाना चंदास नदी का हाल


सम्पूर्ण सर्वे में नदी में हो रहे अतिक्रमण, नदी को प्रदूषित करने वाले कारण का भी अध्ययन किया गया


अनूपपुर :- मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ इकाई अनूपपुर के तत्वाधान में आयोजित चंदास नदी यात्रा की शुरुवात 2 अप्रेल 2022 को की गई थी जो 6 अप्रैल 2022 को संपन्न हो गई। यात्रा चंदास नदी के उद्गम स्थल लखनपुर गुलगुली के बीच स्थित पहाड़ से शुरू की गई थी जो 5 दिवस पश्चात चंदास सोन नदी के संगम पर जाकर संपन्न हुई।


चली 5 दिवसीय यात्रा


 पांच दिवसीय यात्रा के दौरान यात्रियों ने नदी की परिस्थिति तंत्र को समझने का प्रयास किया यात्रियों ने जाना की नदी और उसके आसपास की परिस्थितियां कैसी हैं और संकट में पड़ी चंदास नदी को कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। विदित हो की चंदास सोन में मिलने वाली छोटी-छोटी नदियों मैं से एक प्रमुख नदी है जो लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करते हुए सोन में मिल जाती है। पांच दिवसीय इस नदी यात्रा का प्रारंभ चंदास के उद्गम स्थल से किया गया था यात्रा इस दौरान लखनपुर, कर्रा टोला, पोट्ठा टोला, ताराडांड, दुलहरा, सकरिया, पुरानी बस्ती, अनूपपुर, परसवार, करहीवाह से होते हुए बाबा मढ़ी के पास सोन-चंदास संगम तक यात्रा को समाप्त किया गया। यात्रा के दौरान चंदास नदी पर बने विभिन्न स्टॉप डेमों की स्थिति को देखा गया साथ ही नदी के किनारे होने वाली खेती, जंगल, वनस्पति का अध्ययन करने के साथ-साथ इस यात्रा में नदी के किनारे वाले अतिक्रमण व शहरों से निकलने वाले सीवर लाइन और गंदगी वाली नालियों का प्रदूषित पानी सीधे नदी में मिलता हुआ देखा गया प्रदूषण की स्थिति का भी आकलन किया गया।


शहर में नदी हुई प्रदूषित


यात्रा करने वाली टीम ग्रामीण क्षेत्रो से जैसे ही पुरानी बस्ती के पुलिस कॉलोनी के पास पहुँची जहाँ से नदी के किनारे सैकड़ो मकान नदी का अतिक्रमण करके मकान बना लिए है शहरी इलाका में नदी के किनारे प्लास्टिक के ढेर लगे हुए मिले पुरानी बस्ती एवं सकरिया में बने शासकीय छात्रावास, बेतल मिशन स्कूल, स्मार्ट सिटी के अलावा आधा शहर का गंदा सीवर नाली का पानी सीधे नदी में मिल रहा हैं जिससे नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गयी है जब कि ग्रामीण क्षेत्रो में नदी पूरी तरह साफ नजर आयी अनूपपुर शहर में नदी के किनारे रहने गरीब लोग इसी प्रदूषित पानी का अपने रोजमर्रा के काम मे उपयोग करते देखे गए 


बांध ने दिया नदी को जीवन


चंदास नदी के उद्द्गम स्थल पर जाकर टीम ने जब उस जगह का मुआयना किया तो उद्द्गम स्थल पर सतह पर बिल्कुल पानी नही मिला जिसके कारण उद्द्गम स्थल पर ही चंदास नदी दम तोड़ते हुए दिखी वहाँ से कुछ दूर चलने के बाद नदी में पानी के दर्शन हुए जहाँ पर प्राकृतिक स्रोतों से पानी निकलते दिखा, लखनपुर बांध और ताराडांड बांध के कारण बांध के आगे नदी में पर्याप्त पानी देखा गया जो निरंतर सोन नदी में मिलते तक पर्याप्त रूप से पानी नदी ने दिखा जिससे यह साबित हो जाता हैं चंदास नदी को कही न कही जीवन देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका है ।

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