मैहर से अमरकंटक पहुंचे नर्मदा स्नान निमित्त स्वामी सीताबल्लभ शरण जू महाराज
नर्मदा नदी जल में चंद्रग्रहण पर कई घंटे खड़े होकर किया गया मंत्र जाप
श्रवण उपाध्याय
अमरकंटक : - मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में शक्ति पीठ मैहर से भक्तों के संग चलकर अमरकंटक नर्मदा नदी में स्नान हेतु श्री रामजनकी मंदिर बड़ा अखाड़ा के श्रीमहंत श्री श्री 1008 स्वामी सीताबल्लभ शरण जू महाराज पहुंच चंद्र ग्रहण पर्व में पधारे भक्तों के साथ नर्मदा स्नान किए । स्नान बाद सभी ने नर्मदा दर्शन ,अभिषेक , पूजन बाद मंदिर भ्रमण कर अमरकंटक से लगभग 15 किलोमीटर दूर संत कुटी आश्रम आमानाला (छत्तीसगढ़) पहुंचे ।
संत कुटी आश्रम के व्यवस्थापक स्वामी बिमला बिहारी जू महाराज (लाल बाबा) ने सभी आगंतुक जनों का आभार प्रगट कर स्वामी जी को प्रणाम कर आत्मीय सत्कार किए ।
श्री राम जानकी बड़ा अखाड़ा शक्ति पीठ मैहर से चलकर चंद्र ग्रहण के पावन अवसर के उपलक्ष्य में नर्मदा स्नान हेतु लगभग चालीस-पैंतालीस भक्तों के साथ स्वामी जी का अमरकंटक आगमन हुआ ।
अमरकंटक में संत कुटी आश्रम आमानाला पर उनका आगमन हुआ । स्वामी जी के आगमन से आश्रम पर विशाल संत भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में संत , कन्या , ब्राह्मण , भक्तजन , श्रद्धालुगण और नगरवासी सहित अनेक लोग भंडारे में पधारकर प्रसाद ग्रहण किए इसके उपरांत दक्षिणा और वस्त्र प्रदान कर विदाई की गई ।
स्वामी जी के आगमन पर क्षेत्र और भक्तों में खूब प्रसन्नता रही । इस आयोजन को अमरकंटक के प्रेमी भक्तजन , अनेक श्रद्धालु और सेवादारों ने मिलकर सहयोग कर उत्साह को सफल बनाया ।
संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री सीताबल्लभ शरण जू महाराज ने बताया कि चंद्र ग्रहण पर नर्मदा स्नान करने चालीस भक्तों के साथ अमरकंटक आगमन हुआ । संत कुटी की सेवा में तत्पर रहने वालों के प्रतिनिधित्व में मां नर्मदा का दर्शन , अभिषेक और पूजन संपन्न हुआ । चंद्र ग्रहण पर नर्मदा जल में तीन , साढ़े तीन घंटे जल अंदर खड़े होकर गुरु मंत्र , ईश्वर नाम का जाप किया गया । उसके बाद संत कुटी आश्रम में संतो का भंडारा किया गया । हमारा आगमन साल छह महीने ने होता रहता है ।
इस समय सनातन धर्म पर अनेक उंगली उठती रहती है । सारे विश्व के समस्त धर्मो के उपासनाओं का प्रदूर्भाव सनातन वैदिक परंपरा से ही हुआ है । इस समय धर्म ग्लानि को प्राप्त कर रहा है । लोग थोड़ी सी अपेक्षा उपेक्षा में धर्मांतरण कर लेते है । धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति की कभी भी मुक्ति नहीं होती । धर्म उसी का है जो धर्म का पालन करता है । सनातन धर्म में जो भी राम राम कहता , नारायण नारायण कहता , शिव शिव कहता है सनातन धर्म उसी का है , धर्म में किसी जात से कोई संबंध नहीं है ।
स्वामी जी के आगमन पर मुख्य रूप पेंड्रा से मृत्युंजय शर्मा , कृष्णा तिवारी , ज्ञानेंद्र चतुर्वेदी , मैहर से देवकरण पांडेय , मानपुर से नीरज मिश्रा , पोडकी अमरकंटक से भूपेंद्र मिश्रा , मुनीश पांडेय आदि भारी संख्या में भक्तजन मौजूद रहे ।