अमरकंटक ध्यान योग शिविर में साधकों को नाद शिक्षा , माला शिक्षा दी गई
ओंकार ज्ञान के बिना परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं : आचार्य दर्शन
श्रवण उपाध्याय
अमरकंटक :- मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक के शांति कुटी आश्रम में चल रहे 1 से 6 मई तक चलने वाले शिविर में समर्थगुरु धारा के ध्यान योग के दूसरे दिवस नये साधकों को नाद दीक्षा एवं माला दीक्षा प्रदान की गई । इस अवसर पर आचार्य प्रभाकर दर्शन ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि सहज योग की साधना में ओंकार का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि ओंकार का अनुभव केवल संत या सद्गुरु की शरण में जाकर ही संभव है।
आचार्य दर्शन ने कहा कि सभी महान संतों ने नाद श्रवण के माध्यम से ईश्वर की अनुभूति की है । यह ध्वनि सम्पूर्ण अस्तित्व और आत्मा में निरंतर गूंजती रहती है । विभिन्न धर्मों में इसे अलग-अलग नामों से जाना गया है —सनातन धर्म में ओंकार , इस्लाम धर्म मे सदा-ए-आसमानी , ईसाई धर्म में लोगोस , सिख धर्म में 'एक ओंकार सतनाम', बौद्ध धर्म में ओम , जैन धर्म में अपूर्वश्रुत तथा संतों द्वारा इसे अनाहत नाद कहा गया है ।
कार्यक्रम में 51 नए साधकों को नामदान से पूर्व पंचव्रत संकल्प कराया गया था । समर्थ गुरुदेव सिद्धार्थ जी की दिव्य उपस्थिति में सभी साधकों ने नाद श्रवण किया और अपने आध्यात्मिक भावों को उत्सवपूर्वक व्यक्त किया । बिलासपुर कोटा से पधारे आर डी गुप्ता ने बताया कि इस अवसर पर आचार्य अमरेश झा , आचार्य कर्नल अनुतोष , आचार्य मां वंदना परिहार , आचार्य मां सीमा , छत्तीसगढ़ समन्वयक संतोष चंद्रा सहित 150 से 200 लगभग भारत के अनेक प्रांतों से साधक उपस्थित हुए है ।
प्रातःकाल भ्रमण वन की ओर आचार्य दर्शन एवं स्वामी रामभूषण दास जी के सानिध्य में ।
समर्थ गुरुधारा मैत्री संघ छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित शिविर के सभी साधकों को प्रातःकाल वन (जंगल) की ओर भ्रमण कराया जाता रहा । प्रकृति से प्रेम करो और उनके सानिध्य से हमे ऊर्जा प्राप्त होती है । यह ऊर्जा हवा , पानी , सूर्य , पृथ्वी की ऊष्मा आदि प्राकृतिक से ही है । इन्हें हमे गले लगाना चाहिए । आचार्य दर्शन जी की वाणी सुन सभी साधकों ने वृक्षों को गले लगाया और लंबे समय तक लिपटकर आभार प्रगट किया , प्यार दिया । आचार्य दर्शन जी ने कहा कि पेड़ो से सबको प्रेम करना चाहिए । शांति कुटी आश्रम के श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास जी महाराज ने भी उपस्थित साधकों को जंगल की महिमा का उल्लेख करते हुए वनों से प्रेम , लगाव रखने की बात बताई
जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही निवासी अशोक चंद्रा ने बताया कि यह शिविर छह मई तक चलेगा । अमरकंटक नर्मदा तट में प्रतिवर्ष साधन शिविर लगाया जाता है जिसमें देश के अनेक प्रांतों से साधक , संन्यासी शिविर में उपस्थित होकर आचार्यों से ज्ञान,भक्ति और प्रकृति का भरपूर आनंद प्राप्त करते है ।