नारद जयंती: पत्रकारिता के आदर्शों का स्मरण -संतोष चौरसिया publicpravakta.com


नारद जयंती: पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों की पुनः स्मृति


नारद जयंती: पत्रकारिता के आदर्शों का स्मरण -संतोष चौरसिया


आज के दौर में जब पत्रकारिता टीआरपी, सनसनी और राजनीतिक प्रभाव के इर्द-गिर्द घूमती है, तब हमें अपने सांस्कृतिक इतिहास में झांककर यह देखना चाहिए कि संवाद और सूचना का आदर्श रूप कैसा होना चाहिए। इस संदर्भ में देवर्षि नारद का नाम सबसे पहले आता है। वे केवल एक धार्मिक पात्र नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के पहले संवाददाता भी हैं — जिनकी संवादशैली, सत्यप्रियता और उद्देश्यपूर्ण वाणी आज भी प्रासंगिक है।


नारद: संवाद के माध्यम से समाज को दिशा देने वाले


नारद मुनि संपूर्ण ब्रह्मांड में विचरण करते थे, लेकिन उनके भ्रमण का उद्देश्य केवल सूचना संकलन नहीं था। वे घटनाओं का अवलोकन करते, उनका विश्लेषण करते और फिर उन्हें नीति, धर्म और ज्ञान के साथ प्रस्तुत करते थे। उनका संवाद केवल जानकारी नहीं देता था, वह चेतना को जागृत करता था।


निष्पक्षता की मिसाल


नारद देवताओं और असुरों दोनों को समान दृष्टि से देखते थे। वे जहाँ त्रुटि देखते, उसे उजागर करने में संकोच नहीं करते थे। उनकी यही निष्पक्षता आज के पत्रकारों के लिए सबसे बड़ा आदर्श है। पत्रकारिता को किसी राजनीतिक या आर्थिक दबाव से ऊपर उठकर समाज के हित में कार्य करना चाहिए।


संवाद का माधुर्य और मर्यादा


नारद का संवाद चुटीला, चंचल लेकिन सारगर्भित होता था। वे गंभीर विषयों को भी इतने सहज ढंग से प्रस्तुत करते कि सुनने वाला सहजता से उसे आत्मसात कर लेता। आज के पत्रकारों को भी संवाद में भाषा की गरिमा, तथ्य की स्पष्टता और उद्देश्य की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।


सत्य, विवेक और समाधान की त्रयी


नारद केवल समस्याएं उजागर नहीं करते थे, वे समाधान भी बताते थे। वे संवाद के माध्यम से नीति का बोध कराते, धर्म की व्याख्या करते और मनुष्य को सही दिशा में प्रेरित करते। आज की पत्रकारिता को भी समस्याओं के साथ समाधान प्रस्तुत करने की ओर बढ़ना चाहिए।


नारद जयंती: पत्रकारिता के आदर्शों का स्मरण


नारद जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, यह पत्रकारिता के उन मूल्यों की याद दिलाने वाला अवसर है, जो आज धुंधले पड़ते जा रहे हैं — जैसे सत्यनिष्ठा, निडरता, उद्देश्यपूर्ण संवाद और जनहित की भावना। यदि आज के पत्रकार नारद की तरह संवाद करें — सत्य, विवेक और कल्याण की भावना के साथ — तो समाज में विश्वास और जागरूकता दोनों का संचार होगा।


नारद एक आदर्श, एक दिशा


आज के दौर में नारद केवल एक पौराणिक पात्र नहीं, बल्कि एक आदर्श हैं — उन सभी के लिए जो पत्रकारिता को एक जिम्मेदारी मानते हैं, न कि केवल एक पेशा। पत्रकारिता को नारद जैसे संवाददाताओं की आवश्यकता है, जो समाज के भीतर चेतना, संतुलन और सद्भाव पैदा करें।

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