अनुशासन के साथ कठोर दण्ड विधान जरुरी -- परमपूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज publicpravakta.com


अनुशासन के साथ कठोर दण्ड विधान जरुरी -- परमपूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज


श्रीराम कथा के पांचवे दिन धर्मांतरण के विरुद्ध दिया संदेश 


 अनूपपुर :- व्यक्ति को अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए । यह नुकसान दायक हो सकता है। लेकिन यह भी आवश्यक है कि स्वयं पर संदेह ना करें। संशय , संदेह स्वयं में नहीं होना चाहिए । स्वयं पर पूरा विश्वास रखो। इसका अतिरेक भी ना हो। विश्वास ही फलदायी होता है। श्री राम सेवा समिति अनूपपुर द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस व्यासपीठ से परमपूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने भगवान श्रीराम जानकी परिणयोत्सव कथा के बीच उपरोक्त शिक्षा देते हुए कहा कि गुरु विश्वामित्र के आदेश पर श्री राम ,लक्ष्मण जी के साथ मिथिला दर्शन देने निकले । योगीराज जनक की योग  तपस्या विख्यात है। जीवन में अपने रहते परिणाम प्राप्त करने की अपेक्षा नहीं करना चाहिए ।

धर्म , कर्म, धर्माचरण करना चाहिए।तप करके अपने लिये परिणाम की आशा नहीं करना चाहिए । तप, हवन, जप, दान ,पुण्य करते रहना चाहिए।रघुवंश की चार पीढियों की तपस्या के उपरांत गंगा मैया धरा पर आईं। गंगा मैया देव लोक में देवनदी,  मृत्यु लोक -  विष्णु पगा, पाताल लोक में गंगा मैया और ब्रम्हा जी के कमंडल से ब्रम्हदवी कही जाती और आज भी पूजी जाती हैं ।जगदीश अपने स्वरुप को प्रकट नहीं करते। रामावतार मे केवल माता कौशल्या लो वैश्विक स्वरुप में दर्शन देते हैं, शेष कहीं नहीं ।गुरु विश्वामित्र के आदेश पर श्री राम ,लक्ष्मण जी के साथ मिथिला दर्शन देने निकले । योगीराज जनक की योग  तपस्या विख्यात है।

परमपूज्य जी ने कहा कि किसी ने कहा कि धर्मांतरण में मध्य प्रदेश आगे है। अनुशासन के साथ दण्ड विधान कठोर होना जरुरी है। परिवर्तन का कारण लोभ प्रवृत्ति है। भारत के पूर्वोत्तर और दक्षिण में धर्मांतरण बहुत ज्यादा है। वो श्रद्धा दिखलाते हैं, श्रद्धा रखते नहीं है। हम मर्यादा में ही रह जाते हैं। यह अलग बात है कि दुनिया में सनातन धर्म का तेजी से प्रसार हो रहा है।  हम अपने ही घर में कमजोर हो रहे हैं। इसे सही रखने और करने की जरुरत है।

भगवान आनंद स्वरुप है। जहाँ जाते हैं, परमानंद हो जाता है।महा पुरुषों का कथन है कि सेवक को बहुत सोने का अधिकार नहीं है। शिष्य को गुरुजी की सेवा में जाग्रत अवस्था में रहना चाहिए। श्रेष्ठ बुलाएं तो एक आवाज में उपस्थित रहें। लक्ष्मण जी भगवान श्री राम और गुरुजी की सेवा में अर्द्ध निद्रावस्था में सोते थे। छात्र को सफलता प्राप्त करने के लिये पांच गुणों से युक्त होना चाहिए । कौवे जैसी चेष्टा , बगुला जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा ,अल्प भोजन और गृह त्यागी गुण छात्र में होना चाहिए । तभी छात्र आगे कुछ कर सकता है।कुत्ते जैसा संस्कारी, श्रेष्ठ सेवक आदमी भी नहीं होता।

श्री प्रेमभूषण जी ने कहा कि किसी की भी पूजा करो , भूत - प्रेत नहीं पूजना चाहिए । चालीस साल के बाद शरीर विकलांग हो जाएगा‌।भगवत दर्शन ब्रम्ह वेला मे होता है। प्रात: पांच बजे शांत भाव से बैठ जाइये। ध्यान ,जप कुछ करना नहीं है। ब्रम्हरस स्वयं प्राप्त होगा। ब्रम्हरस प्राप्त नवजात ,छोटे बच्चे प्रात: चार बजे उठ जाते हैं। श्री गणपति, शिव , दुर्गा , सूर्य और हनुमान जी पांच देवों की पूजा करनी चाहिए। जबकि भगवान श्रीराम ,श्रीकृष्ण जी के नाम का जप करो। परमपूज्य जी ने श्री रामजानकी विवाह का सुमधुर कंठ से सस्वर कथा पाठ कर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

एक टिप्पणी भेजें

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget