पूर्वजों को जानने का अधिकार कानून बनाने तथा हिंदुत्व पर अमरकंटक के साधु-संतों ने सरसंघचालक से किया नर्मदांचल सुमंगल संवाद
अनूपपुर/अमरकंटक :- अमरकंटक के साधु-संतों ने मृत्युंजय आश्रम में आरएसएस प्रमुख सरसंघचालक (डॉ.) मोहन भागवत से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को समाप्त करने, पूर्वजों को जानने का अधिकार कानून बनाने, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने सहित हिंदुत्व एवं मां भारती को परम वैभव पर ले जाने के विभिन्न वैश्विक विषयों पर विस्तार से नर्मदांचल सुमंगल संवाद सत्र में विमर्श किया।
स्वामी हरिहरानंद ने पूर्वजों को जानने का अधिकार कानून बिल का ड्राफ्ट मोहन भागवत को सौंपा
सातवीं शताब्दी की शुरुआत में भारत, मालदीव, म्यान्मार, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश लंका और तिब्बत में हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म के लोग ही निवास करते थे। तब भारत की आबादी में एक भी मुसलमान नहीं था। विदेशी आक्रांताओं द्वारा भारत के पूर्वजों पर किए गए घोर प्रताड़ना, जबरन धर्मांतरण जैसे अत्याचारों की वजह से भारत के कुछ लोग धर्मांतरित हुए। गया, प्रयागराज, कोणार्क, हरिद्वार सहित जहां-जहां भारत के विभिन्न स्थानों पर पूर्वजों के पिंडदान की प्रक्रिया होती थी वहां पर वंशावली के दस्तावेज सुरक्षित है, ऐसे समस्त वंशावली के दस्तावेजों के संरक्षण के लिए “पूर्वजों को जानने का अधिकार अधिनियम” कानून का बनना परम आवश्यक है, दस्तावेजी प्रमाण से यह साबित होगा की भारत के सभी लोग हिंदू ही है तथा हम सबके पूर्वज समान है। इस कानून से भारत के लोंगों को अपने पूर्वजों पर हुए अत्याचार के कारण हुए धर्मांतरण को ध्यान में लाया जा सकेंगा। महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद जी महाराज ने पूर्वजों को जानने का अधिकार कानून बिल का ड्राफ्ट तथा शोध से सम्बंधित दस्तावेज को सरसंघचालक (डॉ.) मोहन भागवत को सौपा।
जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति से निपटने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनें- महामंडलेश्वर हरिहरानंद
नर्मदांचल सुमंगल संवाद के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद ने कहा की1991 में लागू हुआ प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 कानून पूजा के अधिकार का हनन करता है इस कानून को तत्काल समाप्त कर दिया जाना चाहिए। भारत के पूर्वजों के द्वारा निर्मित ऐतिहासिक हजारों ऐसे मंदिर हैं जिसे विदेशी आक्रांताओं ने तोड़कर मस्जिद या अन्य स्वरूप दे दिया, पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास की वापसी के लिए ऐसे सभी मंदिर और मठ को वापस पुराने स्वरुप में लाने के लिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को संसद की दो तिहाई बहुमत से पारित कर समाप्त कर दिया जाना चाहिए। स्वामी हरिहरानंद ने यह भी कहा की कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून देश के लिए जरूरी है क्योंकि भारत में हिंदू-मुस्लिम प्रजनन अंतर के अनुसार, हिंदुओं में टीएफआर 1.9 होने जबकि मुसलमानों में यह 2.4 है, 1991 से 2011 के बीच देखा जाए तो 20 साल में हिंदू आबादी में महज 20% बढ़ोतरी हुई, जबकि मुस्लिम आबादी 36% तक बढ़ी। जबकि 1991 से 2023 के बीच 33 साल में हिंदू आबादी में महज 18% बढ़ोतरी हुई, जबकि मुस्लिम आबादी 46% तक बढ़ी। आंकड़ा दर्शाता है कि देश में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। हिंदुओं में फर्टिलिटी में आ रही गिरावट चिंता का विषय है।
नर्मदा परिक्रमा एवं समाज में कुटुंब प्रबोधन आवश्यक
श्रीश्री अनंत श्रीविभूषित महामंडलेश्वर अग्निपीठाधीश्वर श्री रामकृष्णनंदा जी महाराज ने कुटुंब प्रबोधन पर विषय प्रस्तुत किया। परिवार राष्ट्र की सबसे प्रारंभिक इकाई है। परिवार ही वह इकाई है जो संस्कृति को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाती है। पर आज के उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी दौर में जीवन मूल्य बदल गए हैं जिससे परिवार संस्था के प्रति दुराग्रह बढ़ा है, कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से सप्ताह - माह में दो बार परिवार के साथ बैठना, एक दिन मित्र परिवारों के साथ चर्चा, परिवार में प्रतिदिन साहित्य का वाचन सहित संयुक्त परिवार परम्परा को पुनः जागृत करना होगा। नर्मदा परिक्रमा को बढ़ावा दिया जाने तथा नर्मदा के किनारे बसे हुए जनजातीय एवं ग्रामीण समाज के लोगों के बिच पहुंच ज्यादा से ज्यादा हो, जिससे हिंदू धर्म के भाव और संस्कृति का व्यापक प्रचार प्रचार होगा।
हिंदुत्व के लिए सामाजिक समरसता प्रमुख अभियान है– माऊली सरकार
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वरचार्य माऊली सरकार ने सुमंगल संवाद में बताया कि सभी हिंदू एक समान और सभी पवित्र हैं इस भाव का जागरण करने का सामाजिक समरसता अभियान हिंदुत्व के लिए वर्तमान परिपेक्ष्य में बहुत आवश्यक है। माऊली सरकार ने आगे बताया की इस भावना के साथ जनजातीय समाज के ग्रामीण परिवारों में भोजन उनके सामाजिक विषयों की चर्चा परस्पर समरसता से हिंदुत्व को आगे बढ़ने का कार्य किया गया है तथा पुष्पराजगढ़ के जनजातीय बाहुल्य 52 गांव में ‘ग्राम चलो अभियान’ के अंतर्गत जनजातीय तथा सभी समाज के ग्रामीण परिवारों में भोजन उनके सुख-दुख की चर्चा की गई, जिससे सामाजिक समरसता का भाव इन क्षेत्रों में बड़ा है, ऐसा ही अभियान पूरे देश भर में चलाकर सामाजिक समरसता को हिंदू समाज को एकत्रित करने के लिए किया जाना परम आवश्यक है।
अमरकंटक केंद्रीय विश्वविद्यालय से हिंदुत्व का वैज्ञानिक प्रमाणन गौरव का विषय-वंदे महाराज
नर्मदा मंदिर की वरिष्ठ पुजारी पंडित धनेश द्विवेदी वंदे महाराज ने बताया कि जनजातीय बाहुल्य में स्थापित अमरकंटक केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध विद्वान चिन्मय पांडे द्वारा सभी भारतीयों के हिंदू होने का वैज्ञानिक तथा दस्तावेजी प्रमाणन के लिए किये जा रहे शोध से अमरकंटक के साधु संत समाज अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हैं तथा सभी साधु संत अनौपचारिक रूप से शोध मार्गदर्शक के रूप में चिन्मय पांडे को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। पंडित धनेश द्विवेदी ने बताया कि साधु संतों की ‘नर्मदांचल सुमंगल संवाद’ से निश्चिततौर पर पूरे देश में हिंदुत्व का कार्य आगे बढ़ाएगा तथा हर जिलों स्नेह यात्रा की शुरुआत, हर ब्लॉक, तहसील जिला स्तर पर राजकीय संत द्वारा सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्व का जागरण, पर्यावरण संरक्षण एवं नागरिक कर्तव्य की जागरण जैसे विषय पर युवाओं का और आम लोगों का ध्यान केंद्रित होने से भारत को विश्वगुरु बनाने का कार्य शीध्र प्रशस्त होगा।