गोंडवाना गड़तंत्र पार्टी ने मणिपुर हिंसा और आदिवासीयो पर हो रही बर्बरता को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का किया पुतला दहन publicpravakta.com


गोंडवाना गड़तंत्र पार्टी ने मणिपुर हिंसा और आदिवासीयो पर हो रही बर्बरता को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन


मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का किया पुतला दहन

 

 पुष्पराजगढ़ :- 21 जुलाई, शुक्रवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा आदिवासियों पर हुए मणिपुर हिंसा और आदिवासी समुदाय के ऊपर लगातार हो रहे बर्बरता को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम अनुविभागीय दण्डाधिकारी पुष्पराजगढ़ को ज्ञापन सौंपा।


ज्ञापन में उल्लेखित है कि देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी मातृशक्ति राष्ट्रपति को आसीन कर देश गौरव महसूस कर रहा है और अपेक्षा कर रहा है कि देश के विभिन्न राज्यों

में निवासरत् आदिवासियों के सुरक्षात्मक एवं उनके विकास के उपायों की समीक्षा होगी।किन्तु आजाद भारत की जो तस्वीरें देश के लोग देख रहें हैं उससे पूरा देश व्यथित और विचलित होने के साथ भयादोहन की परिस्थतियों का सामना करने को मजबूर हैं। देश के सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस प्रशासन को भ्रष्ट सत्ताधीशों ने विधिक कार्यवाही करने से असंवैधानिक तौर पर रोके रखा है, परिणाम स्वरूप देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों के साथ अमानवीय घटनाक्रम बढ़ते जा रहें है, देश शर्मसार हो रहा है और हम अपने ऊपर हो रहें अत्याचारों के बीच आजादी का पर्व रो-रो कर मना रहें है। वर्ष 2014 के पश्चात् देश में सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद जैसे अमानवीय घटनाओं और आसामाजिक तत्वों का हौसला बढ़ा है। आदिवासी समाज के सामने करो या मरो की स्थिति विनिर्मित हो रहा है और देश संविधान के सुरक्षा का शपथ लिए संवैधानिक पदों पर बैठे महामहिम की खामोशी देश के आदिवासियों के लिए अजगर साबित हो रहा है जो कि देश पूरे विश्व पटल में भारत के लोकतंत्र को कलंकित किये जाने से कम नहीं है।देश के विभिन्न प्रांतो में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय भारत गणराज्य से पहले देश के विभिन्न हिस्सों में साढे 17 सौ वर्ष तक शासक रहें है, भारत गणराज्य की परिकल्पना में अपने रियासतों को विलय करने का अगर यह प्रतिफल है तो दुखदः और दुर्भाग्य है,हम आदिवासियों को आजादी के बाद विस्थापन और लाचारी के अलावा क्या प्राप्त हुआ है,यह भी विचारणीय कि भारतीय संविधान के पांचवी अनुसूची व छठवी अनुसूची के व्यवस्था के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र के जनजातियों के स्वायतता एवं उनके सुरक्षा का सम्पूर्ण शक्ति राज्यों में महामहिम राज्यपाल एवं राष्ट्र में महामहिम राष्ट्रपति के हाथों में निहित है। तथा इन परस्थितियों महामहिम की ओर से किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाना विचारणीय है,महामहिम जी के संज्ञान में मणिपुर का घटनाक्रम स्पष्ट है, क्या इस तरह के घटनाक्रम में महामहिम जी से देश त्वरित एवं कठोर कार्यवाही का अपेक्षा नहीं कर सकता। देश में हो रहें शोषण अत्याचारों के विषय पर देश के विभिन्न संगठनों ने समय-समय पर महामहिम जी को ज्ञापन के माध्यम अपेक्षित कार्यवाही और न्याय हेतु निवेदन करते रहें है, किन्तु दुर्भाग्य है कि देश के राष्ट्रपति भवन से आदिवासियों के पक्ष में कोई पत्र या बयान आया हो, फिर भी न्याय की अपेक्षाएं सहित 6 बिंदुओ के मांगो का ज्ञापन महामहिम के नाम सादर सम्प्रेषित कर उचित संवैधानिक कार्यवाही हेतु आग्रह करते है। अतः निम्नांकित घटनाक्रम का उचित जांच एवं त्वरित कार्यवाही कराने की बात ज्ञापन में कही गई हैं।

ज्ञापन देते समय मुख्य रूप से उपस्थित गोंडवाना गणतंत्र पार्टी संभागीय संगठन मंत्री संजय मरावी जिला,संगठन मंत्री वीरेंद्र सिंह,जिला महासचिव महेश कुशराम, सत्येंद्र सिंह मरावी,ब्लॉक अध्यक्ष लामू सिंह सिंद्राम,प्रकाश सिंह धुर्वे,विजय परस्ते, प्रयाग टेकाम, राम सिंह, नारायण पेंद्रो,लखन सिंह सहित आधा सैकड़ा कार्यकर्ता शामिल रहे।



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