तो क्या परिवार वाद और पैराशूट उम्मीदवारों के सहारे भाजपा होगी अनूपपुर नगर पालिका की सत्ता पे काबिज ? Publicpravakta.com


तो क्या परिवार वाद और पैराशूट उम्मीदवारों के सहारे भाजपा होगी अनूपपुर नगर पालिका की सत्ता पे काबिज ?


( अनुपम सिंह )


अनूपपुर, पसान नगर पालिका और 4 नगरीय निकाय चुनावों के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, सभी प्रत्याशी अपनी चुनावी तैयारियों में जुट गए है कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है कांग्रेस ने अपनी सूची जिस हड़बड़ी और बिना सर्वे के जारी की है उसकी कलई भी तुरंत ही खुलने लगी जब अनूपपुर नगर पालिका के वार्ड 12 से और नगर परिषद डूमर कछार के वार्ड 12 से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया । अनूपपुर नगर पालिका में चुनावी जीत का ऊँट किस करवट बैठेगा ये तो परिणाम आने पर पता चलेगा लेकिन भाजपा ने जिस तरह से टिकट वितरण किया है  उसमे मंत्री बिसाहूलाल सिंह का एकाधिकार दिखाई देता है ऐसा लगता है कि भाजपा की स्थानीय और जिला इकाई को हासिए पर रख कर बिसाहूलाल ने टिकट वितरण किया है । पूरे टिकट वितरण पर परिवार वाद  की और पैराशूट पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की भरमार है 15 में से 4 वार्डो में मंत्री बिसाहू लाल सिंह ने कांग्रेस प्रष्ठभूमि के पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट दिलवाया है जो उनके साथ तबसे है जब बिसाहूलाल कांग्रेस के साहब हुआ करते थे और उनके साथ अब भी है जब बिसाहू लाल भाजपा के भाई साहब हुआ करते है वार्ड 5 से भाजपा ने योगेंद्र रॉय की पत्नी संध्या रॉय को प्रत्याशी बनाया है , वार्ड 7 से पूर्व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संतोष अग्रवाल की बहू सोनल अग्रवाल को , वार्ड 8 से अफसाना बेगम को वही वार्ड 9 से भाजपा ने अनिल पटेल को प्रत्याशी बनाया है अनिल पटेल कांग्रेस के जमाने से बिसाहू लाल के खास रहे है । वही वार्ड 14 और 12 से भाजपा ने स्व0 ओमप्रकाश द्विवेदी की पत्नी श्रीमती प्रवीण द्विवेदी और उनकी  बेटी श्रीमती रेखा पांडेय को उम्मीदवार बनाया है । भाजपा के टिकट वितरण से यह सवाल उठता है कि नगर पालिका के चुनाव में एक परिवार से दो टिकट देना भाजपा के गैर परिवार वादी पार्टी होने का जो दावा रहता है उस दावे  पर क्या प्रश्नचिन्ह खड़ा नही करता है ? और 15 में से 4 वार्डो  में पूर्व कांग्रेसियो को टिकट दिया गया क्या इन वार्डो में भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता और योग्य प्रत्याशी उपलब्ध नही थे ? इन चारों वार्डो में भाजपा को अपने बागियों से चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा और भाजपा के लिए ये राह आसान नही होगी  वार्ड 7 की प्रत्याशी तो एक दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुई थी और दूसरे ही दिन उन्हें पार्टी ने टिकट दे दिया वार्ड 9 से भाजपा के आदर्श दुबे , मनोज दुबे, सीलू त्रिपाठी जैसे कार्यकर्ता थे जो दसो साल से पार्टी के लिए समर्पित होकर कार्य का रहे थे इन सभी को नजर अंदाज करके पैराशूट उम्मीदवार अनिल पटेल  को टिकट देने कही भाजपा को भारी न पड़ जाए ।  

यही हाल वार्ड 5 और 8 का भी है जहाँ पैराशूट उम्मीदवार को टिकट दिया है । वार्ड 9 से आदर्श दुबे भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन उन्हें टिकट नही दिया गया, वह भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी पर भारी पड़ सकते है ? वार्ड 14 से श्रीमती प्रवीण द्विवेदी और श्रीमती कंचन गजेंद्र सिंह के बीच टिकट को लेकर मुकाबला था जानकर बताते है कि जिसमे कंचन गजेन्द्र सिंह की टिकट भी लगभग फाइनल थी लेकिन रीवा से आए एक फ़ोन ने टिकट वितरण कर रहे जिम्मेदारों के माथे पर शिकन ला दी ? और अंततः श्रीमति प्रवीण द्विवेदी को पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया जबकि श्रीमती कंचन सिंह को टिकट मिलने से यह वार्ड आसानी से भाजपा जीत सकती थी क्यों कि गजेंद्र सिंह  2008 और 2013 में वार्ड 14 से  भाजपा प्रत्याशी को विजय दिलवा चुके है  लेकिन भाजपा के लिए वार्ड 14 की लड़ाई आसान नही होगी यहाँ भाजपा के टिकट वितरण से नाराज श्रीमती कंचन गजेंद्र सिंह बगावत कर मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में डटी हुई है जो भाजपा प्रत्याशी को कड़ी चुनौती दे रही है, इस स्तिथि में तब भाजपा के लिए यह सीट निकलना कठिन हो जाएगा । संभव यह भी है कि भाजपा को यह सीट गवानी भी पड़ सकती है । पार्टी ने जहाँ कुछ वार्डो से ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया है जिन्हें जीतने की स्थित में नही माना जा रहा है ? तो कुछ वार्डो में भाजपा ने अंतिम समय मे अपने जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया है वह प्रत्याशी पार्टी को जीत दिलाने में सफल हो सकते है वार्ड 11 से प्रवीण सिंह चंदेल, वार्ड 12 से श्रीमती रेखा अभय पाण्डेय ,वार्ड 13 से सोनाली कमलेश तिवारी अपने वार्ड से पार्टी को जीत दिला सकते है ।

कुल मिलाकर अनूपपुर नगर पालिका चुनाव में भाजपा परिवाद और पैराशूट प्रत्याशियों के दम पर बहुमत पाकर सत्तासीन होना चाहती है लेकिन पार्टी के मूल कार्यकर्ता को नजर अंदाज करना भाजपा की रणनीति पर भारी न पड़ जाए और अनूपपुर नगर पालिका के चुनावी नतीजे 2008 और 2013 की तरह ही आ जाए तो कोई आश्चर्य न होगा ।

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