शारदीय नवरात्रि में जगह जगह सजा मातारानी का दरबार
(पुष्पेंद्र रजक)
पुष्पराजगढ़ :- राजेन्द्रग्राम में शारदीय नवरात्रि में जगह जगह मातारानी का दरबार सज गया पूरा नगर जगमगा कर माता के भक्ति भाव मे डूबा हुआ है सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति के द्वारा मेन मार्केट में दुर्गा माता की विशाल प्रतिमा स्थापित कर मातारानी की झांकी सजाई गई जिसे देखने पहले ही दिन से भक्त जनों की भीड़ उमड़ पड़ी जिसमे संध्या आरती के पश्चात मऊगंज से आये प्रसिद्ध रामलीला का पाठ किया जा रहा है जिसे देखने आस पास के ग्रामीण बड़े ही श्रद्धा भाव से पहुँच रहे हैं।
नगर सहित गांव गांव स्थापित हुई माता जग जननी
पीडब्लूडी वार्ड नं0 05 पटवारी कालोनी सिविल लाइन किरगी बसनिहा आवास कालोनी शिवरीचंदास जोहिला तट पर स्थापित नगर की प्राचीन जगत जननी माँ दुर्गा मंदिर सहित समूचे क्षेत्र में आस पास सभी गांव में विधि विधान से माता रानी की स्थापना कर बड़े ही श्रद्धा भाव से मातारानी की 9 दिन की सेवा कर सुबह शाम आरती जस गीत गाकर माता के भोग के बाद प्रसाद वितरण किया जाकर नौवे दिन हवन के बाद कन्या भोज के साथ भंडारे का आयोजन के साथ बाजे गाजे के साथ मातारानी को विसर्जित किया जाता है। जहाँ दर्शन प्राप्त करने सुबह शाम श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
सप्तमी को बस स्टैंड में विराजेगी माता काली
विगत 04 वर्षों से अनवरत बस स्टैंड राजेन्द्रग्राम में आयोजक मंडली माँ काली उत्सव समिति द्वारा 1 माह पूर्व से साज सज्जा की तैयारी में जुट जाते है बहुत ही लगन और श्रद्धा भाव से मातारानी के आयोजन सफल बनाते है मातारानी की विशाल झांकी आकर्षक का केंद्र बनती है जिसे देखने समूचे क्षेत्र से भक्त गण अपनी अपनी अरजी लेकर माता के दरबार पहुँचते है आसपास का पूरा क्षेत्र भक्ति भाव मे लीन हो जाता है 03 अक्टूबर नवरात्रि शारदीय को ही कलश एवं जावरा अखंड ज्योति स्थापना कर माँ चंडी का पाठ आरम्भ कर दिया गया 09 अक्टूबर सप्तमी के दिन होगी काली माता की स्थापना 10 को कन्या भोज एवं महाअष्टमी 11 को पूर्णाहुति एवं महा आरती 12 अक्टूबर दशहरा को खप्पर आरती महारात्रि पूजन आरती 13 एकादशी को महा आरती एवं गरबा नृत्य कार्यक्रम एवं 14 अक्टूबर द्वादशी को ढोल नगाड़े के साथ मातारानी का विसर्जन होगा।
नवरात्र माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों के लिए होती है समर्पित
हिंदू धर्म में नवरात्र की अवधि पूर्ण रूप से मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के लिए समर्पित मानी जाती है। नवरात्र को लेकर यह माना जाता है कि इस अवधि में माता रानी का धरती पर आगमन होता है और वह अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। इस दौरान साधक माता रानी के नौ स्वरूपों की भक्ति-भावना के साथ पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करता है। साथ ही यह वह समय भी है, जब ऋतु में परिवर्तन आता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी साधक श्रद्धाभाव के साथ नवरात्र के व्रत और पूजा करता है, उसके सभी दुख-विपत्ति दूर होते हैं।