जनजातीय क्षेत्रों में धर्मान्तरण, पलायन, नक्सल प्रभाव को रोकना बड़ी चुनौती -- मनोज द्विवेदी publicpravakta.com


जनजातीय क्षेत्रों में धर्मान्तरण, पलायन, नक्सल प्रभाव को  रोकना बड़ी चुनौती  -- मनोज द्विवेदी*


 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास हेतु विशेष पैकेज की मांग


( प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लालपुर , शहडोल यात्रा पर विशेष )


अनूपपुर / शहडोल :- जनजातीय बहुल क्षेत्रों में धर्मान्तरण, पलायन और नक्सल विचारधारा के प्रवाह को रोकना सरकारों और समाजिक संगठनों के सामने बड़ी चुनौती है। गरीबी ,अशिक्षा, लालच, भय के वशीभूत जनजातीय समाज में धर्मान्तरण, पलायन और नक्सल प्रभाव की घटनाएँ प्रकाश में आती रही हैं। इसे रोकने के लिये मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास हेतु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से विशेष पैकेज की मांग की जा रही है। भाजपा नेता एवं भारत विकास परिषद अनूपपुर के पूर्व अध्यक्ष मनोज द्विवेदी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से जनजातीय समाज के सामाजिक समरस , सम्पूर्ण विकास के लिये विशेष पैकेज देने की मांग की है।* 


01 जुलाई , 2023 दिन शनिवार को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का शहडोल संसदीय क्षेत्र अन्तर्गत लालपुर आगमन होने जा रहा है।  उनके आगमन से पूर्व जनजातीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर विकसित करने के लिये विशेष पैकेज की मांग उठने लगी है। श्री द्विवेदी ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से जनजातीय बहुल अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सीधी, मंडला, डिण्डोरी मे रोजगार के अवसर बढाने के लिये उनका ध्यानाकर्षण कुछ प्रमुख बिन्दुओं की ओर किया है।

श्री नरेन्द्र मोदी , श्री शिवराज सिंह चौहान एवं अन्य अतिथियों के साथ यहाँ पधारने वाले लाखों लोगों का  नर्मदा, सोन, जोहिला से संपन्न विंध्य क्षेत्र की इस पावन धरा पर स्वागत् करते हुए श्री द्विवेदी ने कहा है कि

  दिसंबर 2018 के बाद के पन्द्रह माह के कांग्रेस शासन को दर किनार करें तो 2003 से प्रदेश में एवं 2014 से केन्द्र में भाजपा / एनडीए की जन कल्याणकारी सरकार है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में विकास के बहुत से कार्य कराये जा चुके हैं। 2003 से पूर्व के दिग्विजय कालीन मध्यप्रदेश और आज के मध्यप्रदेश में जमीन - आसमान का अन्तर परिलक्षित है। सड़क, बिजली, पानी, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, गुड गर्वनेस, कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी है। केन्द्र और राज्य के समेकित योजनाओं को प्रदेश में व्यवस्थित तरीके से लागू किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  ने मुख्यमंत्री कन्यादान, लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना, तीर्थ दर्शन योजना , आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, किसान कल्याण एवं श्रमिक कल्याण की योजनाओं के माध्यम से जनता से सीधा संवाद स्थापित किया है।

   राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अन्तर्गत महिलाओं के लाखों स्व सहायता समूहों के माध्यम से गांव - गांव में महिलाएं एवं परिवार आत्मनिर्भर हो रहे हैं। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के नवांकुर, प्रस्फुटन समितियाँ और स्व सहायता समूह सरकार की ऐसी वाहिकाएं बन चुकी हैं ,जिनके माध्यम से सरकार ग्राम स्तर पर लोगों से जुड़ कर सीधा संवाद स्थापित कर रही है। 

 प्रधानमंत्री श्री मोदी का ध्यानाकर्षण करते हुए उन्होंने कहा है कि  वनाच्छादित प्राकृतिक संपदा से भरपूर नर्मदांचल को विकास के लिये विशेष पैकेज की आवश्यकता है। धर्मान्तरण , नक्सल असर और श्रमिकों का पलायन रोकने के लिये रोजगार के अवसर बढाने, रोजगार परक उच्च शिक्षा , ट्रेन सुविधाओं का विस्तार और चलित चिकित्सा सुविधाओं की गांव स्तर तक पहुंच के लिये कार्य करने की जरुरत है। नर्मदा , सोन, जोहिला सहित वन क्षेत्र को संरक्षित रखना हमारी पहली जरुरत है। इसके लिये स्थानीय संपदा, संसाधन आधारित रोजगार के अवसर बढाना होगा। अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, डिण्डोरी, मंडला, सीधी जिला कृषि , सेवा , खनिज , वनोपज निर्भर क्षेत्र है। यहाँ कृषि,वनोपज, खनिज को लक्षित करके रोजगार के अवसर बढाए जा सकते हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की प्रचुर संभावना है। जनजातीय क्षेत्रों को  विशेष पैकेज प्रदान , सक्षम - मजबूत निगरानी व्यवस्था के माध्यम से शोषण, लालच, भय मुक्त जनजातीय समाज का निर्माण कर इन्हे मुख्य धारा में लाया जा सकता है।


*ट्रेन सेवाओं का विस्तार--*


जनजातीय हिस्सों जैसे सीधी, डिण्डोरी, पुष्पराजगढ, शहपुरा सहित अन्य क्षेत्रों में ट्रेन सुविधाओं का विस्तार करके सुगमता बढाने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। ट्रेनें यातायात का मुख्य साधन हैं , इससे जनजातीय क्षेत्रों में आवागमन सरल होगा।


कृषि उत्पाद आधारित उद्योग 


यह क्षेत्र कृषि और सेवा आधारित क्षेत्र है। यहाँ गेहूँ, चावल, कोदो, कुटकी, रमतिला, अरहर की फसल के साथ टमाटर, आलू, मुनगा, आम, अमरुद, नाशपाती सहित अन्य फल - सब्जियां उगाई जाती हैं। यदि इन पर आधारित छोटे - बड़े उद्योग यहाँ स्थापित  किये जाएं तो किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिलेगा और लोग खेती के लिये प्रोत्साहित होंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने इस दिशा में कुछ कार्य किया है। इनके उत्पादों को बड़े सुलभ बाजार की जरुरत है।

दूसरा -- जैविक और रसायन आधारित कृषि में अन्तर करके कृषि उत्पादों की कीमत तय हो। जैविक उत्पादों की गुणवत्ता माप कर अधिक कीमत दी जाए।


वनोपज के लिये एमएसपी ---


यह क्षेत्र वनोपज और औषधीय पौधों से भरपूर है। जनजातीय समाज के लोग इसके माध्यम से जीवन यापन का कार्य करते हैं।  महुआ,तेदूं, तेदूं पत्ता, सरई पत्ता, चार,चिरौंजी, चकौडा सहित अन्य वनोपज संग्रहित करके वन विभाग या छोटे व्यवसायियों को औने - पौने दाम पर बेंचने से उन्हे ज्यादा लाभ नहीं होता। कृषि उत्पाद की तरह वनोपज के लिये भी एमएसपी तय किया जाए तथा मंडियों के माध्यम से इसे बेंचने की छूट हो। ग्राम स्तर की समितियों को प्राकृतिक संसाधनों और उत्पादों के संरक्षण के लिये जवाबदेह बनाना होगा।


 *खनिज संपदा आधारित उद्योग --


इस क्षेत्र में कोयला, बाक्साईड, मारबल, पीली मिट्टी, छूही, मुरंग, पत्थर,रेत सहित अन्य खनिज संपदा की बहुतायत है। कोयला, मारबल और बाक्साईड यहाँ से बाहर भेजा जाता है। जिसके एवज में नाम मात्र की रॉयल्टी इन जिलों को प्राप्त होती है। बाक्साईड से एल्यूमीनियम, फिटकरी सहित अन्य उत्पाद बनते हैं। सरकार को इस दिशा में पहल करके उद्योग स्थापित करवाना होगा। जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। खनिज मद की रॉयल्टी में संबंधित जिलों का अंश भाग दुगना करने की जरुरत है।


भूमि अधिग्रहण रोजगार संबंधी नियम का सरलीकरण ---


जनजातीय क्षेत्र में माईनिंग के लिये, पावर और अन्य प्रोजेक्ट के लिये जमीन अधिग्रहण किया जाता है। इससे लोगों में असुरक्षा की भावना उठने से आक्रोश के चलते हमेशा कानून व्यवस्था का मामला बनता रहता है‌ । केन्द्र सरकार भू अधिग्रहण कानून का जमीन मालिकों के हित में सरलीकरण करे। अभी क्लबिंग और डिसेंडिग आर्डर पर प्रभावित परिवार को नौकरी मिलती है। इसे समाप्त करके एक एकड़ में एक व्यक्ति को नौकरी की पात्रता की जाए। इससे कोयला उत्पादन के लिये जमीन अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के लिये नौकरी के अवसर बढ जाएगें।  यह प्रक्रिया स्वयमेव हो ,लोगों को बेवजह भटकना ना पड़े, संघर्ष ना करना पड़े तो बेहतर होगा।

श्रमिकों/ कृषकों हेतु प्रशिक्षण केन्द्र --- यह सेवा बहुल क्षेत्र है। यहाँ कुशल - अकुशल श्रमिकों ,किसानों की उपलब्धता है। इन्हे प्रशिक्षित करके, इन्हे मांग आधारित प्रशिक्षण देने, कुशल श्रमिक तैयार करने हेतु श्रमिकों/ कृषकों के लिये प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएं। आवश्यक और उचित हो तो इसे स्कूली शिक्षा से भी जोड़ा जाए।

      श्री द्विवेदी द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से उक्त ध्यानाकर्षण करते हुए अग्निपथ, सिविल सेवा , नीट, जेईई के लिये जनपद/ जिला स्तर पर प्रशिक्षण केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय खोलने की मांग की गयी 


भूमि संबंधी विवादों का त्वरित निदान--


देश के अन्य हिस्सों की तरह यहाँ के किसान और जमीन मालिकों के बीच बारिश से पूर्व जमीन विवादों के कारण बड़ी संख्या में लोग जीवन का बड़ा हिस्सा पटवारी, तहसील, पुलिस ,अदालतों के चक्कर लगाने में नष्ट कर देते हैं। इससे लोगों का धन, समय, शक्ति व्यय होता है। भूमि विवादों के त्वरित निपटारे के लिये सरकार को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इसके लिये ग्राम समितियों और स्थानीय सभाओं को विशेष अधिकार देने, तहसीलदार - एसडीएम की जवाबदेही तय करने जैसे कदम उठाने होंगे।


चलित चिकित्सालय और मोबाइल बैंकिग--


लोगों को स्वास्थ्य और बैंकिंग की सुविधा पंचायत स्तर पर मिलने लगे तो उनका जीवन और भी सरल हो जाएगा। अभी लोगों को पेंशन,मजदूरी की राशि के लिये घंटों चल कर बैंकों के चक्कर लगाना पड़ता है। इसी तरह से इलाज के लिये 25-50 किमी दूर जाना पडता है। मोबाईल बैंकिंग और चलित चिकित्सालय की अवधारणा पर कार्य करने से जनजातीय लोगों को उनके नजदीकी पंचायत या गाँव में सुविधा मिल पाएगी।

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