वार्ड क्रमांक 5 में स्थित अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने का आदेश डॉक्टर एम,एम मंसूरी द्वारा लोकहित में शराब दुकान को अन्यत्र स्थापित किए जाने हेतु की गई थी याचिका दायर publicpravakta.com

 


वार्ड क्रमांक 5 में स्थित अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने का आदेश


डॉक्टर एम,एम मंसूरी द्वारा लोकहित में शराब दुकान को अन्यत्र स्थापित किए जाने हेतु की गई थी याचिका दायर 


अनूपपुर :- रिहायशी क्षेत्र व स्कूल के समीप स्थित अंग्रेजी शराब दुकान के कारण मार्ग में  अवरोध और प्रदूषण असामाजिक गतिविधिसे व्यथित होकर स्थाई लोक अदालत जनउपयोगी, अनूपपुर में आवेदक डॉक्टर एम,एम मंसूरी द्वारा लोकहित में शराब दुकान को अन्यत्र स्थापित किए जाने हेतु याचिका दायर की गई थी जिस पर माननीय न्यायालय ने सुनवाई की थी और आयुक्त मध्य प्रदेश आबकारी विभाग ग्वालियर, जिला आबकारी अधिकारी, अनूपपुर ,जिला कलेक्टर अनूपपुर ,और अंग्रेजी शराब दुकान लाइसेंसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था जिस पर सुनवाई के दौरान वादी और प्रतिवादी लोगों द्वारा अपना पक्ष रखा गया जिस पर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लिया था और आवेदक डॉक्टर एम एम, मंसूरी की ओर से लोकहित में एडवोकेट अशोक खेमका ,उमेश सिंह प्रेस फोटोग्राफर ,और समाजसेवी सीताराम मिश्रा पुरानी बस्ती ,ने गवाह के रूप में अपने बयान माननीय न्यायालय के समक्ष दर्ज कराए थे जिस पर पूरी सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय उच्च न्यायिक सेवा अध्यक्ष जनउपयोगी लोक अदालत श्री भू भास्कर यादव एवं कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग सदस्य लोक उपयोगी लोक अदालत अनूपपुर  की संयुक्त पीठ ने अपना निर्णय सुनाते हुए दिनांक 7 सितंबर 2021 को आदेश दिया था कि वार्ड क्रमांक 5 वर्तमान समय में स्थित अंग्रेजी शराब दुकान को 1 माह के भीतर अन्य यंत्र हटाया जाए आवेदक की ओर से अधिवक्ता बृजेंद्र सोनी एडवोकेट और एडवोकेट साबिर अली ने पैरवी की थी इस आदेश के विरुद्ध अंग्रेजी शराब दुकान के संचालक द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में रिट पिटिशन दायर की गई थी जिस पर माननीय न्यायालय ने पहले स्थाई जन उपयोगी लोक अदालत अनूपपुर के निर्णय के आदेश के विरुद्ध स्थगन दिया था उसके पश्चात दिनांक 2 नवंबर 2022 को  सुनवाई के उपरांत माननीय जस्टिस ऐस ,ए  धर्माधिकारी जबलपुर द्वारा  सुनवाई के उपरांत वादी की पिटीशन खारिज कर दी है जिस से स्थाई जनउपयोगी लोक अदालत अनूपपुर का दिया हुआ निर्णय फिर से प्रभाव सील हो गया है उच्च न्यायालय में प्रतिवादी रहे डॉक्टर एम ए मंसूरी की ओर से अधिवक्ता दिलीप परिहार ने पैरवी की इस पूरी कानूनी प्रक्रिया में  वासुदेव चटर्जी एडवोकेट का भी विशेष मार्गदर्शन एवं  योगदान रहा

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