कोल्डस्टोरेज में फर्जी किसानो के नाम पर जमा हुआ महुआ, विक्रेता की छिपाई गई पहचान publicpravakta.com

 


कोल्डस्टोरेज में फर्जी किसानो के नाम पर जमा हुआ महुआ, विक्रेता की छिपाई गई पहचान


 मंडी अनुज्ञा व जीएसटी ई-वे बिल बचाने रचा गया खेल, मंडी प्रशासन पर लगा प्रश्रचिन्ह

अनूपपुर :-  जिले में इन दिनों वनोपज महुआफूल ग्रामीणों के अतिरिक्त आय का जरिया बना हुआ है। जहां वन व ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीण सुबह से ही महुआ फूल एकत्रित कर बाजार में व्यापारियों को बेच रहे है। जिले में प्रत्येक वर्ष महुआफूल का लगभग 2 लाख क्विंटल से अधिक का उत्पादन होता है। जहां जिले में संचालित दो कोल्ड स्टोरेज में 1 लाख 20 हजार क्विंटल के आसपास महुआफूल भंडारण होने तथा शेष महुआ ट्रको के माध्यम से छत्तीसगढ़ के लिये अवैध तरीके से परिवहन कर दिया जाता है। इतना ही नही कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा फर्जी किसानों के नाम से महुआफूल का अवैध भंडारण कराया गया है। जिसके कारण शासन को मंडी अनुज्ञा व जीएसटी की चोरी करते हुये करोड़ो रूपयें की राजस्व क्षति पहुंचाई जा रही है। आंकड़ों के अनुसार शहडोल संभाग में संचालित 6 कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा इस खेल को अंजाम देते हुये  मंडी अनुज्ञा, जीएसटी ई-वे बिल की लगभग 20 करोड़ रूपये की क्षति पहुंचाई जा रही है।


शीतगृह व कोल्ड स्टोर में आयकर की चोरी

जिले में संचालित कृष्णा कोल्ड स्टोरेज मेडिय़ारास व एस.के. शीतगृह अनूपपुर के संचालको द्वारा वनोपज महुआफूल को किसानो के नाम पर फर्जी तरके से भंडारण कराकर अवैध करोबार करते हुये मंडी अनुज्ञा, जीएसटी व आयकर की चोरी करते हुये शासन को लगभग 7 करोड़ के आसपास की प्रत्येक सीजन क्षति पहुंचाई जा रही है। जिसमें कोल्डस्टोरेज के संचालक और कृषि उपज मंडी के अधिकारियों की मिलीभगत की बाते सामने आ रही है। जिसके कारण शासन को करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन पूरे मामले में मंडी प्रशासन शिकायतों के बाद भी चुप्पी साधे हुये है। जहां कोल्डस्टोरेज के संचालक और मंडी प्रशासन द्वारा म.प्र. कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 की धारा 19 (2) को गलत ढंग से परिभाषित कर पूरे फर्जीवाड़े को छिपाने की कोशिश की गई है। जहां विक्रेता के नाम फर्जी और क्रेता को जानबूझकर छिपाया जा रहा है।


फर्जी किसानो के नाम पर भंडारण

पूरे मामले में कृष्णा कोल्ड स्टोरेज व एस.के. शीतगृह के संचालको द्वारा फर्जी किसानो के नाम से महुआफूल का भंडारण कर कालाबाजारी का खेल खेला जा रहा है। प्रतिदिन व्यापारियों का महुआफूल से लोड़ वाहन कोल्ड स्टोरेज बिना अनुज्ञा व जीएसटी बीच के पहुंचती है और भंडारण के समय कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा उसे फर्जी किसानो के नाम पर भंडारण कराकर मंडी अनुज्ञा 1.5 प्रतिशत व जीएसटी 5 प्रतिशत की राशि का चोरी किया जा रहा है। जहां मंडी सचिव से लगातार शिकायत के बाद भी इस ओर किसी तरह की कार्यवाही नही की जा रही है। इस पूरे खेल में कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा किसानो के नाम से जमा महुआ कर महुआफूल के असली व्यापारियों का नाम छिपाकर रखते है।


मंडी प्रशासन पर उठे सवाल

पूरे मामले में जब मंडी सचिव अनूपपुर रविन्द्र सिंह से पूछा गया तो पहले उन्होने भ्रमित करने वाले जवाब दिये गये की कोल्डस्टोरेज में किसानो द्वारा वनोपज महुआफूल भंडारण किया जा रहा है, और किसानो के लिये मंडी की अनुज्ञा व जीएसटी नही लगती है। लेकिन जब पूरे जिले के पंजीकृत महुआफूल के किसानो के संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होने एैसा कोई रिकार्ड नही होने की बात पल्ला झाड़ लिया गया। इतना ही नही दोनो कोल्डस्टोरेज में महुआ जमा किये गये किसानो के सत्यापन संबंधी दस्तावेजो की बात कही गई तो उन्होने पूरे मामले में जवाब न देना ही उचित समझा।


पूरे शहडोल संभाग में नही है महुआ फूल के किसान

कोल्ड स्टोरेज में जमा होने वाले महुआ फूल के अवैध भंडारण व सत्यापित किसानो के नामो पर पूरा विभाग शांत हो गया है। जबकि नियमानुसार किसानो के नाम महुआ के परिवहन व भंडारण पर भी नि:शुल्क मंडी अनुज्ञा जारी होता है। इसके साथ ही महुआफूल के सत्यापित किसानो को उनके निजी भूमि का खसरा व रकवा में महुआ के पेड़ो की संख्या दर्ज होने से संबंधित दस्तावेज के बाद ही उन्हे महुआफूल के कृषक रूप में माना जाता है। लेकिन कोल्डस्टोरेज में किसानो के नाम से जमा महुआ पर संचालक द्वारा न तो किसानो का आधार कार्ड दर्ज किया गया है और ना ही अन्य दस्तावेज जिससे वे महुआ के कृषक के रूप में पहचान हो सके।


प्रशासन व मंडी अधिकारियों से सबसे बड़ा सवाल

वनोपज महुआफूल की कालाबाजारी के मामले में प्रशासन व मंडीअधिकारियों से सबसे बड़े सवाल बनते है, जिनसे पूछे जाने पर वह अपना पल्ला छुड़ा रहे। सवालो में महुआफूल की खेती नही की जा सकती तो भंडारण कर्ताओं को किसान क्यो माना गया? कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा जब खरीदी नही की गई तो स्वयं के नाम पर नगद मंडी फीस की राशि क्यो जमा की गई? महुआफूल के असली मालिको से मंडी फीस क्यो जमा नही कराया गया? कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा स्वयं के नाम लगभग 5 से 10 लाख मंडी फीस प्रतिवर्ष जमा किया तो, इसका जिक्र आयकर रिटर्न में क्यो नही किया गया और जीएसटी जमा क्यो नही की गई? मंडी अधिनियम के किस प्रावधान के तहत तथाकथित किसानो की सूची लगाकर महुआफूल की मंडी फीस, कोल्डस्टोरेज के संचालको द्वारा स्वयं के नाम जमा की गई?


इनका कहना है

कोल्डस्टोरेज में किसानो के नाम से जमा महुआ पर किसानो की सूची मांगकर उनका सत्यापन कर कृषक की पहचान की जायेगी। अगर किसानो के नाम पर फर्जी भंडारण किया गया है तो नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। इस संबंध में मंडी सचिव से भंडारित महुआ के किसानो और व्यापारियों की सूची मांगी गई है।


सोनिया मीना, कलेक्टर अनूपपुर




इनका कहना है

वनोपज महुआ की कालाबाजारी व उसके अवैध परिवहन पर अंकुश लगाया जायेगा।


अखिल पटेल, पुलिस अधीक्षक अनूपपुर

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