शुभम बघेल को बाल अधिकार मीडिया अवार्ड, भोपाल में सम्मानित publicpravakta.com

 


शुभम बघेल को बाल अधिकार मीडिया अवार्ड, भोपाल में सम्मानित

शहडोल. पत्रिका शहडोल संस्करण के संपादक व शासन से अधिमान्य पत्रकार शुभम सिंह बघेल को बाल अधिकार मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हे यह अवार्ड 13 मार्च को पर्यावरण परिसर भोपाल में आयोजित विकास संवाद कार्यक्रम में बेहतर कार्य और दगना कुप्रथा के खिलाफ अभियान चलाकर जड़ से खत्म करने में अहम भूमिका निभाने के लिए दिया गया। ग्रामीण इलाकों में कुपोषण दगना, पेयजल और आदिवासियों के मुद्दों को लेकर सक्रिय शुभम बघेल को बाल अधिकार मीडिया अवार्ड 2021 दिया गया है। इसमें जूरी टीम ने मध्यप्रदेश के चार पत्रकारों का चयन किया गया था।  जिसमें आदिवासी आदिवासी अंचल के शुभम बघेल का भी चयन किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता व अतिथियों ने प्रमाण-पत्र, ट्राफी व 25 हजार रुपए के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पर्यावरण परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कवि , चिंतक, कथाकार ध्रुव शुक्ल ने 21वीं सदी में हमारे बच्चे पर व्याख्यान दिया।


पुरस्कारों का चयन वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञों की चयन समिति ने किया था। इस चयन समिति में वरिष्ठ संपादक श्री चंद्रकांत नायडू, एनके सिंह, राजेश बादल, श्रावणी सरकार और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि के कुलपति केजी सुरेश शामिल थे।  


आदिवासी अंचल में जड़े जमा चुके दगना अंधविश्वास के खिलाफ पत्रिका अखबार के माध्यम से अभियान चलाया था। दगना जैसी जानलेवा कुप्रथा के खिलाफ पत्रिका की मुहिम को शासन ने स्वीकारा और आज पूरे आदिवासी अंचल में दगना पूरी तरह बंद हो चुका है। गांवों में लचर स्वास्थ्य सिस्टम के चलते ऐसे भयावह हालात थे कि बीमार और सांस लेने में तकलीफ होने पर बच्चों को झाडफ़ूंक कराते हुए गर्म लोहे से दाग (जलाना) दिया जाता था। दागने से कई मासूमों के शरीर में संक्रमण फैलने के बाद मौत भी हो चुकी थी। इस पर पड़ताल करते हुए ऐसे गांवों को चिहिंत किया व गहराई से पड़ताल की। 22 जून 2018 को पत्रिका में पहली खबर प्रकाशित की। इसके बाद लगातार एक के बाद एक 50 खबरें तीन साल तक प्रकाशित की। टास्क फोर्स बनाई और चुनाव आायोग ने भी इस अपने स्वीप प्लान में शामिल किया। शासन ने गंभीरता से लिया। कमिश्नर और कलेक्टरों को अभियान चलाने के निर्देश दिए गए। पत्रिका और अफसरों की टीम के गांव- गांव घूमने पर डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे मिले, जिन्हे एक साल में दागा गया था।  रेडियो में कलेक्टर का संदेश और स्थानीय भाषा में टेलीकास्टिंग कराई गई कि दागना गलत है व डाक्युमेंट्री तैयार कर गांव-गांव दिखाई गई। संभाग के कलेक्टरों ने दागने पर धारा 144 लागू कर दी। गांव-गांव दागना के खिलाफ दीवारों में लेखन कराया गया और जागरूकता अभियान चलाया गया। हकीकत जानने और जागरूकता के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर से जजों की टीम भी पहुंची। स्टेट लीगल सर्विस अथारिटी और नेशनल  लीगल सर्विस अथारिटी के जज और कई अधिकारी पहुंचे और यहां गांव- गांव कैंप लगाकर ग्रामीणों को जागरूक  किया। अभियान से दगना के खिलाफ बड़ा असर देखने को मिला। दगना काफी कम हो गया हैं। इसके खिलाफ अभी भी जागरूकता अभियान संभाग में चल रहा है। झाडफ़ूंक करने और दागने वाले तांत्रिकों की काउंसलिंग भी अधिकारियों द्वारा कराई जा रही है। शुभम बघेल ने कई ऐसे मुद्दों को उठाया जो जनता की आवाज बनकर उभरे।

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