अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सी ई ओ जैतहरी ने छीना रामजी का सचिवीय प्रभार , नींद से जागे तो चौथे दिन बदल दिया अपना ही आदेश publicpravakta.com 



अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सी ई ओ जैतहरी ने छीना रामजी का सचिवीय प्रभार , नींद से जागे तो चौथे दिन बदल दिया अपना ही आदेश

अनूपपुर :- सीईओ सतीष तिवारी के द्वारा 1 फरवरी 2022 को आदेश जारी करते हुए उल्लेख किया कि ग्राम पंचायत मौहरी के ग्रामीण जनों के द्वारा 23 जनवरी 2022 को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण बिसाहूलाल सिंह को समक्ष की गई शिकायत एवं मंत्री महोदय के निर्देश कार्यालय जिला पंचायत अनूपपुर के आदेश क्र0/ 3599/ जि.पं./ पं. प्र.को./2022 दिनांक 27/01/2022 द्वारा गठित जाँच समिति, लगातार अखबारों में छप रही खबरों, सी.एम. हेल्पलाइन में कार्यों की गुणवत्ता को लेकर दर्ज शिकायतों दूरभाष पर नंद किशोर मिश्रा के घर से गेंदलाल के घर तक बन रही सी.सी. रोड मनरेगा कंवर्जेन्स से बनाई जा रही है, जिसकी एमबी मनरेगा से जारी की गई है, जिसमें किसी के हस्ताक्षर नहीं है। सीसी रोड गुणवत्तापूर्ण कार्य न कराये जाने की प्राप्त शिकायत पर तत्काल कार्य रोकने के निर्देश दिये जाने के बाद भी कार्य बंद न कराये जाने, स्व-सहायता समूह के द्वारा संचालित नर्सरी के लिये आवश्यकता से अधिक आरसीसी पोल क्रय करने एवं भुगतान कराने के कारण रामजी राठौर सचिव ग्राम पंचायत मौहरी के सचिवीय अधिकार जाँच पूरी होकर प्रतिवेदन प्राप्त होने और निर्दोष पाये जाने तक के लिए समाप्त किये जाकर उन्हें आगामी आदेश पर्यन्त तक के लिये कार्यालय जनपद पंचायत जैतहरी में संलग्न किया जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।


चौथे दिन बदल दिया अपना ही आदेश


मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत जैतहरी सतीश तिवारी के द्वारा 1 फरवरी के अपने ही आदेश को रद्द करते हुए 4 फरवरी को पुन: पत्र जारी करते हुए ग्राम पंचायत मौहरी के सचिव रामजी राठौर का सचिवीय अधिकार समाप्ति के आदेश को निरस्त करते हुए पद पर कार्य करने की अनुमति दे दी।


 प्रसाशन की मंशा पर उठ रहे है सवाल


 सूत्र बताते है कि कुछ माह पहले भोपाल से 2 से 3 आदेश जारी हो चुके है कि प्रभारी सीईओ सतीश तिवारी को जनपद सीईओ पद से तत्काल हटाकर किसी और पात्र व्यक्ति को प्रभार दे दिया जाए मगर उसके बाद भी जिले में बैठे आला अधिकारी इनको हटाना नही चाहते या सतीश तिवारी की पहुँच के आगे इनको हटाने की ताकत ही नही है। जिले के सबसे ताकतवर सीईओ अपने आप को मानने लगे हैं। इनके हाथ कुबेर का खजाना लग जाने के कारण उस खजाने का गलत इस्तेमाल करने में लगे हैं। इसी के बदौलत अपना रुतबा बढ़ाने में कोई कमी नही कर रहे है।


      आम जनमानस का नही हो पा रहा है काम                                                            

जब सचिव, रोजगार सहायक और सीईओ आपस मे मिलीभगत कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगे ? तो पंचायतों में सही कार्य कैसे होगा आम जनता को न्याय कौन देगा जब सिपाही से लेकर राजा तक भ्रष्टाचार का चोला पहन लें तो आम जनता का पंचायत में रहना ही मुश्किल हो जाएगा सारी योजनाएं कागजो और फ़ाइल में ही दफन होकर रह जायेगी और योजनाओं का सारा रुपया इन भ्रष्टाचारियो के जेब मे जाने से कोई नही रोक पायेगा।

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