Publicpravakta.com कलेक्टर ने जैतहरी निवासी तीरथ राठौर को किया जिला बदर


कलेक्टर ने जैतहरी निवासी तीरथ राठौर को किया जिला बदर

अनूपपुर :- कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री सोनिया मीना ने मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम, 1990 की धारा-5(क) के अंतर्गत अनावेदक तीरथ राठौर पिता रम्मू राठौर उम्र 43 वर्ष निवासी बस्ती जैतहरी थाना जैतहरी जिला अनूपपुर जो 2003 से 2020 तक की अवधि में 14 अपराधिक गतिविधियों में संलग्न पाया गया है को राजस्व जिला अनूपपुर तथा उसकी सीमा से सम्बद्ध मध्यप्रदेश राज्य के राजस्व जिले शहडोल, सीधी, उमरिया, कटनी, रीवा, सतना एवं डिण्डौरी की सीमाओं से एक वर्ष की कालावधि के लिए बाहर चले जाने का आदेश दिया है। उन्होंने उक्त अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत यह आदेश दिया है कि उपरोक्त निर्वन्धन आदेश की अवधि में अनावेदक जिस-जिस थाना क्षेत्र में निवास करे या आवागमन करे उसमें अपनी आने तथा प्रस्थान करने की सूचना दे तथा प्रत्येक दिन दोपहर 12ः00 बजे क्षेत्राधिकार वाले थाना में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए। उन्होंने आदेश दिया है कि नियत कालावधि में आरोपी बिना मेरी लिखित अनुमति के उपरोक्त जिलों की सीमाओं के अन्दर प्रवेश नहीं करेगा, न ही क्षेत्राधिकार वाले थाने में हाजिरी देना बन्द करेगा।

       पुलिस अधीक्षक अनूपपुर ने अनावेदक के विरुद्ध प्रतिवेदन प्रस्तुत कर लेख किया है कि अनावेदक वर्ष 2003 से लगातार अवैध कारोबार एवं आपरधिक गतिविधियों में संगठित गिरोह बनाकर संलिप्त है, अनावेदक आये दिन चोरी का अपराध घटित करता चला आ रहा है। अनावेदक के विरुद्ध थाना जैतहरी द्वारा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जा चुकी है, किन्तु इसके बावजूद भी अनावेदक के आपराधिक कृत्यों में कोई सुधार नहीं आ रहा है, बल्कि लगातार अपराधों में संलिप्त है। अनावेदक के आपराधिक कृत्यों के कारण क्षेत्र की आम जनता भयभीत रहते हैं, जिसके कारण अनावेदक के आपराधिक कृत्यों की थाने में रिपोर्ट करने एवं गवाही देने से डरते हैं। अनावेदक के स्वछंद रहने पर जनता अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है। अनावेदक के आपराधिक गतिविधियों में सुधार लाने हेतु प्रतिबंधित कार्यवाहियां भी की गई, किन्तु अनावेदक पर कोई सुधारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। अनावेदक के आपराधिक गतिविधियों से थाना क्षेत्र एवं आसपास क्षेत्र की आम जनता जन-धन की असुरक्षा महसूस करती है, ऐसी स्थिति में अनावेदक के विरुद्ध म.प्र. राज्य सुरक्षा एवं लोक व्यवस्था अधिनियम की धारा 5,6,7 के तहत प्रतिबंधक कार्यवाही किया जाना नितांत आवश्‍यक है।

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